दुनियाभर के देशों के बीच महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे निकलने की दौड़ लगी हुई है. आज सभी देश समझ चुके हैं कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के साथ ही देश अपने विकास के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं. G20 जैसे मंच इस कॉमन गोल को पूरा करने के लिए देशों को एकजुट लाने का काम कर रहे हैं(G20 working for women empowerment). ज़मीनी स्तर पर बदलाव को मापने से पता चलता है कि समानता अभी मीलों दूर है.
'दुनिया भर में 1% महिलाएं महिला सशक्तिकरण के उच्च स्तर वाले देशों में रहती हैं'
संयुक्त राष्ट्र महिला (UN women) और यूएनडीपी (UNDP) की एक रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया भर में 1% से भी कम महिलाएं और लड़कियां महिला सशक्तिकरण के उच्च स्तर वाले देशों में रहती हैं (less than 1 percent women live in countries with gender parity and empowerment). इस स्टडी में 114 देशों को शामिल किया गया. यह स्टडी विमेंस एम्पॉवरमेंट इंडेक्स (Women’s Empowerment Index -WEI) और ग्लोबल जेंडर पैरिटी इंडेक्स (the Global Gender Parity Index -GGPI) पर आधारित है.
स्टडी किए गए 114 देशों में से किसी ने भी पूरी तरह से महिला सशक्तिकरण या लैंगिक समानता हासिल नहीं की है. WEI के अनुसार, वैश्विक स्तर पर महिलाएं अपनी क्षमता का सिर्फ 60% ही हासिल कर पाती हैं, जबकि वे ह्यूमन डेवलपमेंट डाइमेंशन्स में पुरुषों की तुलना में 72% से ज़्यादा हासिल करती हैं. डाउन टू अर्थ (DTE) रिपोर्ट ने बताया कि डेटा 28% लिंग अंतर दिखाता है.
114 में से 85 देशों में महिला सशक्तिकरण का स्तर निम्न या मध्यम है
डाउन टू अर्थ (Down To Earth) की रिपोर्ट के अनुसार, 114 में से 85 देशों में महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का स्तर निम्न या मध्यम है. आधे से ज़्यादा देश उच्च (21 देश) या बहुत उच्च मानव विकास समूह (26 देश) में से हैं." रिपोर्ट के अनुसार भारत मानव विकास की 'मध्यम' श्रेणी में आता है, जहां महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता दोनों कम पाई गई.
114 देशों की स्टडी ने बताया कि महिलाओं को प्रमुख मानव विकास आयामों (human development dimension) जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, समावेशन, निर्णय लेने और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में डिसिशन लेने और अवसरों तक पहुंचने की आज़ादी नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में नीतिगत उपायों को लागू करने की ज़रुरत है, जिनमें स्वास्थ्य देखभाल नीतियां, शिक्षा में समानता, कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देना और परिवारों का समर्थन करना, महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों को हल करना शामिल है.
दुनियाभर की सिर्फ 1 % महिलाओं को अपने सपने पूरे करने, अवसरों तक पहुंचने, और अपने अधिकारों को हासिल करने की आज़ादी है. इस निराशाजनक आंकड़े में बदलाव लाने के लिए समाज के सबसे निचले तबके से शुरू करना होगा, नीतियों में बदलाव करने होंगे, और शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बेसिक सुविधाओं तक पहुंच आसान बनानी होगी.