हिमाचल प्रदेश से सिर्फ हमें बर्फ़बारी, पहाड़ और सुन्दर नज़ारे ही याद नहीं आते. बल्कि वहां की shawls, winter wear भी पुरे देश में जाने जाते हैं.
वहां के परिधान उनकी उच्च quality के लिए प्रसिद्ध है. हिमाचल में बहुत सी manufacturing units हैं जो हर रोज़ हज़ारों की तादाद में गर्म कपड़ों का उत्पादन करतीं हैं. पर गौर फ़रमाने वाली बात यह है की factory made कपड़ों और हाथ की बुनाई वाले कपड़ों और वस्तुओं में काफ़ी फर्क देखा जा सकता है.
इसी अंतर को समझाने ,के लिए और Himachal Pradesh की महिलाओं को स्वावलम्बित करने हेतु, जाइका वानिकी परियोजना आई.
कारीगरों को दी जाती हैं training -
इस योजना के तहत Self help groups की महिलाओं को हिमाचली पारंपरिक परिधानों को बुनना सिखाया जाता हैं.
उन्हें इस कला में master बनाने के लिए Training दी जाती हैं. यह सब इन traditional dresses की बढ़ती मांग को दखते हुआ. खासतौर से kullu और किन्नौर में कारीगरों को 45 दिनों तक बारीक़ी से काम सिखाया जाता है.
ट्रेनिंग के दौरान ही 35 हज़ार की बिकिरी हुई.
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अधिकारी नागेश कुमार गुलेरिया ने बतया -
''बाराहार कुल्लू के ग्राम वन विकास समिति के अंतर्गत, नारायण स्वयं सहायता समूह ने 45 दिनों की प्रशिक्षण के बाद शॉल, स्टॉल, और बास्केट, जिसे हम हॉफ जैकेट कहते हैं, बनाया. उन्हें मार्केट में अच्छी कीमत मिल रही है.''
Trainer जुगत राम ग्रामीणों की आजीविका में दे रहें योगदान
Zaika Vaniki pariyojana के अंतर्गत जुगत राम ट्रेनिंग मास्टर का कार्य संभालते हैं. उन्होंने अभी तक 16 SHGs को इस कला से परिचित कराया. सारे SHGs जिनको भी इस योजना के तहत ट्रेनिंग मिली है, वे सब अब super quality की कुल्लवी शॉल और stalls बना कर तैयार कर रहे है, और ये सारे items लोग बहुत मन से ख़रीद रहे हैं. जुगत राम 2021 से इस योजना के ज़रिये Handloom Industry से जुड़े हुए हैं और SHG को ट्रेनिंग प्रदान कर रहें हैं.
जुगत राम कहते हैं-
''नारायण स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित कुल्लू एवं किन्नौरी स्टॉल तैयार करने के लिए शमशी स्थित कुल्लू-किन्नौरी स्टॉल उद्योग ने पांच लाख का ऑर्डर दिया है.''
आज प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आजीविका कमाने और उनकी Financial situation को सुधारने के लिए बेहतर अवसर मिल रहे हैं.
जुगत राम ने Self Help Groups की इस सफलता के लिए मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया का आभार व्यक्त किया है.
महिला SHGs के लिए यह lakhpati बनने का एक सुनहरा मौक़ा हैं.