Adani Foundation के 'सथवारो' से मिला SHG और हैंडमेड कारीगरों को मंच

अडानी फाउंडेशन ने भारत की इन कलाओं और शिल्पों को प्रदर्शित करने के लिए ACH, अहमदाबाद में दो दिवसीय कार्यक्रम 'सथवारो मेले' का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम में देश भर के करीब 20 SHGs और कारीगरों द्वारा बनाए गए हैंडमेड प्रोडक्ट्स प्रदर्शित किये गए.

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मिस्बाह
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Adani Foundation

Image: Ravivar Vichar

भारत की विविधता ने तरह-तरह की कलाओं और शिल्पों को जन्म दिया. अडानी फाउंडेशन (Adani Foundation) ने भारत की इन कलाओं और शिल्पों को प्रदर्शित करने के लिए ACH, अहमदाबाद में दो दिवसीय कार्यक्रम 'सथवारो मेले' (Sathwaro Mela 2023) का शुभारंभ किया. 

20 SHG और कारीगरों के हैंडमेड प्रोडक्ट्स को किया प्रदर्शित 

इस कार्यक्रम में देश भर के करीब 20 स्वयं सहायता समूहों (Self Help Group) और कारीगरों द्वारा बनाए गए हैंडमेड प्रोडक्ट्स (handmade products by SHG) की वाइड रेंज प्रदर्शित की गई. कारीगरों को सशक्त बनाने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान देने के साथ, यह आयोजन कारीगरों और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी को भी कम करता है. इस मंच के ज़रिये, फाउंडेशन का लक्ष्य स्थायी आजीविका और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.  

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Image Credits: Revoi.in

सिंगरौली (मध्य प्रदेश) के सिक्की शिल्प से लेकर मुंद्रा (गुजरात) के सूनफ और मिट्टी के काम से लेकर महाराष्ट्र की वर्ली कला, कट्टुपल्ली (तमिलनाडु) के ताड़ के पत्तों के उत्पाद और विझिंजम (केरल) के नारियल के खोल के सामान, तरह-तरह के हस्तशिल्प प्रदर्शित किए गए. 

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सथवारो में किया 6 लाख 50 हज़ार रुपये से ज़्यादा का व्यवसाय 

सिक्की पेंटिंग की कला को दर्शाने के लिए उषा ने भी स्टॉल लगाया. वह हमेशा से अपने दम पर कुछ करना चाहती थी और सथवारो की पहल ने उसके सपने को पंख दे दिए. वह कहती हैं, ''सिक्की पेंटिंग सिक्की घास के सुनहरे तनों से बने कागज से बनी एक कठिन कला है, जिसे महिलाएं खुद बनाती हैं.'' उन्हें विश्वास है कि फाउंडेशन के समर्थन से वह और उनका समूह लाभ हासिल करने में सक्षम होंगे." 

कुल मिलाकर, दो दिवसीय कार्यक्रम ने 6 लाख 50 हज़ार रुपये से ज़्यादा का व्यवसाय किया. सथवारो मेले ने रोगन कला जैसी लुप्त होती कला को जगह दी, जिसकी जड़ें कच्छ, गुजरात में हैं. इस पारंपरिक कपड़ा तकनीक में अरंडी-आधारित पेंट का उपयोग करके कपड़े पर जटिल और रंगीन पैटर्न बनाये जाते हैं. आज सिर्फ एक ही परिवार इसका अभ्यास कर रहा है. ACH में प्रदर्शित एक और लुप्त होता शिल्प, जिसका अभ्यास केवल कुछ कारीगरों द्वारा किया जाता है, सूरत का सादेली शिल्प है. इस कला रूप में, कारीगर पैटर्न बनाने के लिए लकड़ी और धातु को जटिल रूप से जोड़ते हैं.

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Image Credits: Adani Foundation

कारीगरों को मिला स्थिर आय स्रोत

बाज़ारों तक पहुंच की कमी से कारीगर अक्सर आर्थिक रूप से संघर्ष करते हैं. फाउंडेशन का लक्ष्य उन्हें मंच प्रदान करना है जहां वे अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर सकें और उन्हें लाभदायक दर पर बेच सकें. ACH में सथवारो मेला कारीगरों को अडानी के कॉर्पोरेट उपहार कार्यक्रम से जोड़ने और मार्केट पहुंच देने की एक पहल थी. इसका लक्ष्य  कारीगरों को एक स्थिर आय स्रोत प्रदान करना है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सके.

अदाणी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक, श्री वसंत गढ़वी कहते हैं, "राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने में योगदान देने की ज़रुरत है. प्राचीन शिल्प के पुनरुद्धार के ज़रिये, सथवारो का लक्ष्य युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है. इसका उद्देश्य आर्थिक विकास, स्थायी आजीविका और सांस्कृतिक संरक्षण से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ तालमेल बिठाना भी है."

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