"स्वयं सहायता समूह (SHG) महिलाओं के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास हासिल करने का ज़रिया बन रहे हैं ", प्रधान मंत्री के अतिरिक्त सचिव अतीश चंद्रा (Additional Secretary Atish Chandra) ने कहा.
अतिरिक्त सचिव अतीश चंद्रा ने की SHG महिलाओं से बात
अतिरिक्त सचिव ने विशाखापत्तनम के प्रियदर्शिनी सामुदायिक हॉल में कई स्वयं सहायता समूहों (self help group) के साथ बैठक की अध्यक्षता की. आतिश ने स्वयं सहायता समूहों को सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न योजनाओं का सदुपयोग करने की सलाह दी.
"सरकार गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करने का लक्ष्य लेकर मिशन मोड में काम कर रही है. महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के लिए समर्थन दिया जा रहा है. इन गतिविधियों के ज़रिये महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और वह गरीबी के चक्र से बाहर आ सकेंगी.'' अतीश चंद्रा ने कहा.
उदयनिधि स्टालिन के मार्गदर्शन में शुरू हुआ माथी ब्रांड
तमिलनाडु (Tamilnadu) के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन (Sports Minister Udhayanidhi Stalin) ने राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) द्वारा निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अहम पहल शुरू की. इसके तहत माथी ब्रांड (Mathi Brand) की शुरुआत हुई. सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (E-Commerce Platform) लॉन्च कर चेन्नई में पहला एक्सपीरियंस स्टोर खोला है. SHG अब उत्पादक समूहों में बदल रहे हैं, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उत्तर प्रदेश में बालिनी दूध उत्पादक कंपनी जैसे कुछ स्वयं सहायता समूहों ने सफल कारोबार शुरू किया है. SHGs का समर्थन करने के लिए सरकार पूंजी, तकनीकी सहायता, गुणवत्ता प्रबंधन और क्षमता निर्माण प्रदान करती है. भविष्य की योजनाओं में BIS सर्टिफिकेट प्राप्त करना, टॉप बिजनेस स्कूलों के साथ साझेदारी करना और माथी स्टोर का विस्तार करना शामिल है.
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'लखपति दीदी' बनेंगी महिला उद्यमी
लखपति दीदी (Lakhpati Didi) बनाने के सरकार के मिशन को पूरे भारत में 330 से ज़्यादा गतिशील महिला उद्यमियों (women entrepreneurs) ने समर्थन दिया है. उत्तराखंड के अल्मोडा जिले में, SHG ने स्टिंगिंग नेटल लीफ उद्योग में क्रांति ला दी है. उत्तरी गोवा की महिलाएं शिल्प और प्रशिक्षण के ज़रिये सशक्त हो रहीं है. गुजरात, चिक्काबल्लापुर, बिहार और मेघालय में महिला उद्यमी बेकार हो चुकी सामग्रियों को जीवंत उत्पादों में बदल रही हैं. हिंसा के कारण सामने आ रहीं चुनौतियों के बावजूद, मणिपुर में महिला उद्यमी डटी हुई हैं.
कश्मीर से लेकर केरल तक, और गुजरात से लेकर मिज़ोरम तक, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं उद्यमिता के ज़रिये तरह-तरह के उद्योगों में अपनी पहचान बनाकर, आत्मनिर्भर बनने का सफर तय कर रहीं है.
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