जब कोई फिल्म अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (International Film Festival) में दिखाई जाती है, तो यह उस देश के लिए बहुत गर्व की बात होती है जिस देश से वह फिल्म आई है. इससे देश की सांस्कृतिक पहचान और कला को वैश्विक मंच पर पहचान मिलती है. इसके साथ ही यह देश के फिल्म निर्माताओं और कलाकारों के लिए भी प्रेरणा बनता है क्योंकि यह उन्हें विश्व स्तर पर अपनी प्रतिभा और काम को पेश करने का अवसर देती है.
ऐसा ही एक प्रतिष्ठित अंतराष्ट्रीय मंच है France का Cannes जहां का Cannes International Film Festival पूरी दुनिया के फिल्म निर्माताओं के बीच विख्यात है.
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30 सालों का इंतज़ार Grand Prix के साथ हुआ ख़त्म
Cannes Film Festival (Cannes 2024) में भारत का 30 सालों का इंतजार आखिरकार Grand Prix Award के साथ खत्म हुआ, जब भारतीय लेखिका-निर्देशक Payal Kapadiya की पहली फीचर फिल्म 'All We Imagine As Light' पहली भारतीय फिल्म बनी जिसने Cannes Grand Prix Award जीता. यह उपलब्धि भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है और इसने भारतीय फिल्म उद्योग (Indian Film Industry) को वैश्विक मानचित्र पर फिर से स्थापित किया है.
तीन दशकों का लंबा इंतजार, अनेक प्रयास और कई नॉमिनेशंस के बाद, इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय सिनेमा की प्रतिष्ठा को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है. फिल्म ने अपनी अनूठी कहानी, उत्कृष्ट निर्देशन और भावनात्मक गहराई के कारण ना केवल जूरी बल्कि दर्शकों के दिलों में भी अपनी जगह बनाई.
इस जीत ने ना सिर्फ फिल्म के कलाकारों और क्रू को गर्व महसूस कराया है, बल्कि हर भारतीय को गर्व का अनुभव करवाया है. यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के बढ़ते कद का प्रतीक है. इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय सिनेमा के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारतीय फिल्म उद्योग के लिए नए अवसरों के द्वार खोले हैं.
Team of 'All We Imagine As Light' with Grand Prix Award (Image Credits - Rediff.com)
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30 साल बाद दिखा भारत Cannes Film Festival में
कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival), जो कि दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और चर्चित फिल्म फेस्टिवल्स में से एक है, इस वर्ष 2024 में भारतीय सिनेमा की एक अनूठी पेशकश और लेखिका-निर्देशक पायल कपाड़िया (Payal Kapadiya) की पहली फीचर फिल्म ‘All We Imagine As Light’ को अपने मंच पर feature कर रहा है. यह फिल्म ना केवल अपनी कहानी के लिए बल्कि अपने स्क्रीनप्ले और समाज को गहराई से सोच में डालने के लिए भी प्रशंसा पा रही है. इस फिल्म से भारत Cannes Film Festival में 30 सालों का इंतज़ार ख़त्म कर दोबारा लौटा.
इससे पहले Cannes Film Festival में जाने वाली भारतीय फिल्में थी - Shaji N Karun की Swaham (1994), MS Sathyu की Garm Hava (1974), Satyajit Ray की Parash Pathar (1958), Raj Kapoor की Awaara (1953), V Shantaram की Amar Bhoopali (1952), और Chetan Anand की Neecha Nagar (1946).
Image Credits - IMDb
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समाज की गहराइयों को खोजती All We Imagine As Light
फ्रांस के सुंदर शहर कान्स में आयोजित इस फिल्म फेस्टिवल (Cannes 2024) में ‘All We Imagine As Light’ का प्रदर्शन भारतीय सिनेमा की विविधता और गहराई को दर्शाता है. यह फिल्म भारतीय समाज के कई पहलुओं को उजागर करती है, जैसे कि प्यार, संघर्ष, आशा और सपने, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से बांधे रखते हैं.
यह फिल्म एक भारतीय-फ्रेंच सह-निर्माण है, जो अपनी कहानी के सामाजिक संदेश के माध्यम से भारतीय दर्शकों के साथ-साथ विश्व भर के दर्शकों के लिए भी महत्वपूर्ण है. इसने कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival) के मंच पर भारतीय सिनेमा की नई छवि को पेश करने का कार्य किया है, जो कि भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक गर्व की बात है. इस फिल्म की सफलता ने भारतीय निर्माताओं और कलाकारों के लिए वैश्विक स्तर पर नए अवसर खोले हैं.
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