आजकल हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में विभिन्न प्रकार के plastics का उपयोग करते हैं. इनमें से सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला plastic, मल्टी लेयर्ड पैकेजिंग (Multi Layered Packaging MLP) का उपयोग विशेष रूप से खाद्य और अन्य उत्पादों को पैक करने के लिए किया जाता है. यह पैकेजिंग प्लास्टिक की कई परतों से बनी होती है, जो उत्पादों को ताजा और सुरक्षित रखने में मदद करती है. लेकिन इसका एक बड़ा दुष्प्रभाव है - यह पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है.
Multi Layered Plastic (MLP) को recycle करना बेहद मुश्किल होता है, जिससे पृथ्वी पर वेस्ट और प्रदूषण बढ़ता है और ecosystem को नुकसान पहुंचता है. प्लास्टिक नष्ट होने में सैकड़ों साल लगते हैं, और इसका दुष्प्रभाव भूमि, जल और वायु पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. प्लास्टिक कचरे (plastic waste) के कारण समुद्र में भी प्लास्टिक के द्वीप बन गए हैं और पानी में रहने वाले जीवों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है.
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Sustainability बढ़ाने के लिए reCharkha की शुरुआत
अमिता देशपांडे (Amita Deshpande) ने 12 साल की उम्र में ही पर्यावरण को हम इंसानों द्वारा पहुंचाए जा रहे कष्ट को समझ लिया था. उन्होनें तब से ही डिस्पोजेबल प्लास्टिक (Disposable Plastic) का उपयोग करना छोड़ दिया. इन चिंताओं को देखते हुए, अमिता देशपांडे (Amita Deshpande) ने पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझी और पहल की reCharkha EcoSocial की. उन्होंने अमेरिका जाकर Sustainability की पढ़ाई की और भारत वापस लौटकर reCharkha EcoSocial की शुरुआत की.
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products का सिलेक्शन था मुश्किल
reCharkha की शुरुआत में अमिता को दो मुख्य समस्याओं का सामना करना पड़ा. पहली कि इन plastic wrappers से क्या बनाया जाए? और दूसरी कि इन plastic wrappers को इकट्ठा कैसे और कहां से किया जाए?
अमिता ने अपनी समस्याओं के समाधान भी खोज निकाले. उन्होंने daily life में इस्तेमाल होने वाले सामान जैसे लैपटॉप बैग, गमले, साइड बैग आदि बनाने का निर्णय लिया. इन products को बनाने में लगने वाला plastic waste आमतौर पर बहुत कम मूल्य का होता है, इसलिए लोग इसे इकट्ठा नहीं करते. इसलिए इस plastic waste की सोर्सिंग के लिए, उन्होंने कचरा बीनने वालों (ragpickers) और उनकी कई संगठनों से खुद संपर्क किया. अमिता ने उन्हें इस कार्य में शामिल कर लिया.
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reCharkha ही क्यों रखा नाम?
reCharkha का नाम 'ट्रेडिशनल चर्खे के पुनर्जीवित' होने को दर्शाता है. reCharkha इस waste को recycle (upcycle) करने के लिए केवल चर्खा (Spinning Wheel) और हथकरघा (Handloom) का उपयोग करता है. reCharkha की इस पहल ने पारंपरिक तरीकों को भी पुनर्जीवित कर नया रूप दिया और आदिवासी और ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को रोजगार और जीवनयापन के साधन प्रदान किए.
अब तक, reCharkha ने 20 लाख प्लास्टिक बैग्स को recycle किया है और 50,000 दिनों की आजीविका (livelihood) प्रदान किया है. यह स्टार्टअप (startup) ना केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचा रहा है बल्कि हजारों कारीगरों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है.
reCharkha EcoSocial जैसी पहल पर्यावरण की रक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण को एक साथ ला रही है. अमिता देशपांडे की इस पहल ने प्लास्टिक कचरे (plastic waste) की समस्या का रचनात्मक समाधान ढूंढा और महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए. यह स्टार्टअप पर्यावरण की रक्षा और सामुदायिक विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो आने वाले समय में और भी तेज़ी से आगे बढ़ेगा.