प्लास्टिक पूरी दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है (plastic pollution). लेकिन, कुछ लोग लगातार अपने प्रयासों से प्लास्टिक के बदले दूसरे टिकाऊ और ईको फ्रेंडली ऑप्शंस बनाने में कामियाब हो रहे है (eco friendly alternatives to plastic). बेंगलुरु के स्टार्टअप (startups in bangalore) एवलोगिया इको केयर (Evlogia Eco Care) के संस्थापक मणिगंदन कुमारप्पन (Manigandan Kumarappan) ऐसे लोगों में से एक हैं. 2018 में शुरू किया गया ये स्टार्टअप, कृषि वेस्ट से ईको फ्रेंडली ड्रिंकिंग स्ट्रॉ (eco friendly drinking straw) बना रहा है. साथ ही, इसके ज़रिये स्थानीय महिलाओं को रोज़गार भी मिला.
मणिगंदन कुमारप्पन ने बनाया प्लास्टिक स्ट्रॉ का रिप्लेसमेंट
स्ट्रॉ बनाने का काम उद्यमी मणिगंदन कुमारप्पन के पिछले स्टार्टअप, टेनको फूड्स (Tenco Foods) का विस्तार है. टेंको फूड्स ताजा, नारियल को सप्लाई (coconut supplier) करने का काम करता था. नारियल के कचरे (drinking straw made from coconut waste) इस्तेमाल कर उन्होंने पर्यावरण-अनुकूल स्ट्रॉ बनाई. कुमारप्पन कहते हैं, ''ये स्ट्रॉ न केवल बेहतर रिप्लेसमेंट है, बल्कि नारियल के बागानों से निकलने वाले कचरे की समस्या का भी समाधान करती हैं.''
एवलोगिया स्टार्टअप से जुड़ी SHG महिलाएं
एवलोगिया ने इस स्टार्टअप में महिला स्वयं सहायता समूहों (self help group) को जोड़ा है (startup working with SHG women). ये महिलाएं तमिलनाडु (Tamilnadu) के कृष्णागिरी और कन्याकुमारी और कर्नाटक (Karnataka) के तुमकुरु जगहों से नारियल के पत्ते इकट्ठा करने का काम कर रही हैं.
एवलोगिया संस्थापक टीम के साथ मणिगंदन कुमारप्पन (बाएं से दूसरे) Image Credits: New Indian Express
कुमारप्पन बताते है, "हमने महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है जो पत्तियां इकट्ठा करती हैं, उन्हें छांटती हैं, काटती हैं और हमारे पास भेजने से पहले उन्हें साफ करती हैं."
स्टार्टअप की प्रतिदिन 10 हज़ार आर्गेनिक और खाद योग्य स्ट्रॉ (organic and compostable straw) बनाने की क्षमता है. कंपनी न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों में भी अपनी स्ट्रॉ बेच रही है. एक स्ट्रॉ की कीमत डेढ़ से तीन रुपये तक होती है.
उत्पादन 20 महिला कर्मचारियों की एक टीम द्वारा किया जाता है (SHG women organic straw). “हमारा लक्ष्य उत्पादन को तीन गुना बढ़ाना है,” कुमारप्पन कहते हैं. पिछले चार वर्षों में, स्टार्टअप ने 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी. करीब 150 टन का कृषि वेस्ट स्ट्रॉ बनाने में इस्तेमाल किया गया. इस तरह की पहल के ज़रिये न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य पूरा हो रहा है बल्कि, महिलाओं को रोज़गार का भी अवसर मिल रहा