पांच साल और सवा लाख ट्रेक्टर !
शासन ने खेती (Agriculture) को आधुनिक बनाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Center) खोल दिए. केवल पांच साल में 3800 सेंटर खोले. नतीजा यह हुआ कि किसान परिवार के पास एक लाख 23 हजार ट्रेक्टर (Tractor) हो गए. इसके अलावा कई नए उपकरण भी ले लिए. मध्यप्रदेश में 2021 में कृषि मंत्री (Agriculture Minister) कमल पटेल (Kamal Patel) ने सेंटर की शुरुआत भी की. कृषि मंत्री (Agriculture Minister) कमल पटेल (Kamal Patel) ने कहा -"अब यह धारणा खत्म हो गई जिसमें यंत्रों के उपयोग से बेरोजगारी बढ़ती है. यंत्रों के प्रयोग से कम लागत में अधिक पैदावार हो रही. सेंटर से दस किमी के दायरे में कम से कम 300 किसानों (Farmers) को फायदा मिले ऐसे प्रयास किए जा रहे." इस सेंटर्स से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी जोड़ा गया.
ट्रेनिंग से बढ़ रहा कॉन्फिडेंस
कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Center) पर किसानों (Farmers) को और अधिक नई टेक्निक सिखाने के लिए ट्रेनिंग (Traning) दी जा रही. कौशल विकास केंद्र (Skill Development Center) भोपाल, जबलपुर, सतना, सागर, ग्वालियर, और इंदौर में यह कार्यशालाएं चल रही. खास बात यह है ये भारतीय राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद (National Skill Development Council of India) से जुडी हुई है. सभी तरह की ट्रेनिंग में लगभग 5 हजार युवक-युवती शामिल हो चुके हैं. इनका कॉन्फिडेंस बढ़ गया. कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय (Agricultural Engineering Diractorate) के संचालक राजीव चौधरी के अनुसार फार्म मेकेनाइजेशन को कौशल विकास से जोड़ने की पहल की गई.
कमज़ोर किसानों को मिल रही सुविधा
शासन कस्टम हायरिंग सेंटर्स (Custom Hiring Center) को प्रोत्साहित कर रही, जिन्हें सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह (Self Help Group), निजी और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा संचालित किया जा रहा. इससे छोटे और मझौले किसानों को कृषि यंत्रों (Agriculture Instryments) की सुविधा आसानी से मिल जाए.
इसमें कुल 25 लाख रुपए लगाना होते हैं. किसानों को केवल 5 लाख रुपए की मार्जिन राशि देना होती है. सरकार कुल लागत का 40% सब्सिडी देती है जो अधिकतम 10 लाख है. बाकी लागत बैंक लोन से कवर हो जाती है.कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Center) से छोटे किसानों को किराये पर मशीन मिल जाती है.अब तक 85 गन्ना हार्वेस्टर्स के हब बन गए.