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भारत के अग्रणी ड्रोन निर्माता गरुड़ एयरोस्पेस ने न सिर्फ 500 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन तकनीक पर प्रशिक्षित किया बल्कि 20 राज्यों में महिला स्वयं सहायता समूहों को 446 ड्रोन वितरित भी किए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई 'Namo Drone Didi Yojana' को आगे बढ़ाने में गरुड़ एयरोस्पेस का महत्वपूर्ण योगदान है.
Garuda aerospace ने अपनी इस पहल से ग्रामीण समुदायों में लैंगिक समानता (Gender Equality) और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना का लक्ष्य कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को ड्रोन की सेवाएं प्रदान करने के लिए 15,000 चुनिंदा महिला एसएचजी को ड्रोन प्रशिक्षित करने के साथ उनको ड्रोन प्रदान करना भी है.
Garuda aerospace की सह-संस्थापक रितिका मोहन अग्नीश्वर ने ड्रोन जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान उद्योग की चुनौतियों का सामना करते हुए, लगातार आ रही बाधाओं को तोड़ने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करने का काम किया.
उनके अनुसार- "ड्रोन प्रौद्योगिकी में अग्रणी पहल के माध्यम से, हम न केवल महिलाओं को सशक्त बना रहे है बल्कि ड्रोन प्रौद्योगिकी और कृषि के परिदृश्य को भी नया आकार दे रहे है. इस तरह का प्रशिक्षण, संसाधन और अवसर प्रदान करके, हम बाधाओं को तोड़ रहे हैं और एक ऐसा भविष्य बना रहे हैं जहां लैंगिक समानता (Gender Equality) और समावेशन (Financial Inclusion) सफलता की आधारशिला है."
पहली महिला ड्रोन पायलट के रूप में वह बताती है- "एक प्रशिक्षित ड्रोन दीदी 50000 से 70000 रुपये हर महीने कमा सकती है."
उनका लक्ष्य है 2025 तक 50% महिला कार्यबल का. Garuda aerospace ड्रोन बनाने और ड्रोन पायलट प्रशिक्षण के लिए डीजीसीए द्वारा अनुमोदित पहली ड्रोन कंपनी बनी. साथ ही कृषि ड्रोन ऋण और कृषि ड्रोन सब्सिडी प्राप्त करने वाली पहली ड्रोन कंपनी बनी. गरुड़ एयरोस्पेस की सफलता लैंगिक विविधता और प्रौद्योगिकी-संचालित क्षेत्रों में समावेशन के महत्व पर प्रकाश डालती है.