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कांग्रेस ने दोनों चरणों में 44 महिलाओं को और भाजपा ने 69 महिलाओं को मैदान में उतारा. इस लैंगिक असंतुलन ने इस सवाल को जन्म दिया है कि पार्टियां सक्रिय रूप से महिलाओं को मैदान में उतारने के बजाय महिला आरक्षण अधिनियम के लागू होने का इंतज़ार क्यों कर रही है?
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