मासिक धर्म या menstruation (Menstruation in india) आज भी भारत में एक बहुत बड़ा मुद्दा है जिस पर कोई भी बात करना पसंद ही नहीं करता. मैं जब भी किसी से इस बारे में बात करने के लिए आगे आती हु तो लोग जाने क्यों uncomfortable हो जाते है और बात टालने की कोशिश करते है. इन्हीं सब practices के कारण लड़कियों को periods, menstrual hygiene, menstrual awareness जैसे topics के बारे में कुछ भी नहीं पता.
शहरों में तो फिर भी ये हालत बदल गए है लेकिन गाँव में आज भी यही हालत है. लड़कियों को किसी बीमार व्यक्ति से कम नहीं समझा जाता इन दिनों में. उससे दूर रहना, उसके लिए सब कुछ अलग रखना और बीच ऐसी बहुत सी चीज़ें की जाती है जो लड़की का मनोबल पूरी तरह से तोड़ देती है. उसके साथ जो होता है वह उसे स्वीकार कर अपनी बच्चियों के साथ भी इसी बर्ताव को जारी रखती है.
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Tamilnadu के पुदुक्कोट्टई जिले में transformation project
बस इसी तरह से एक गाँव था जिसमें पिछले 41 सालों से लड़कियों की hygiene (menstrual awareness) और उसकी ज़रूरत का कोई भी ध्यान नहीं रखा जा रहा था. लेकिन अब तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई के गांव मुल्लिकापट्टी में महिलाओं की स्वच्छता और स्वच्छता सुविधाओं में एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है.
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फूस की छत वाले घर में सात बहनों के साथ पली-बढ़ी सेल्वरानी को मासिक धर्म के दौरान शौच करने या सैनिटरी पैड बदलने के लिए हमेशा घनी झाड़ियों के बीच बाहर जाना पड़ता था. छह महीने पहले तक, मुल्लिकापट्टी में हर किशोर लड़की और महिला के लिए यही चुनौती थी. उन्हें खेतों में शौच करने के लिए सुबह होने से पहले उठना पड़ता, और भारी मासिक धर्म के दिनों में भी घंटों तक एक ही सैनिटरी नैपकिन पहनकर कठिन शारीरिक काम करना पड़ता.
सेल्वरानी, गाँव की एक महिला, बताती हैं, "हमने अपने पूरे जीवन में इन मुद्दों को छोटी-मोटी असुविधाओं से ज्यादा कुछ नहीं देखा, क्योंकि गांव में हम हमेशा इसी तरह रहते आए हैं. लेकिन सामान्य होने के बावजूद, इन चुनौतियों का हमारे स्वास्थ्य, सुरक्षा, समय और आराम करने की क्षमता पर स्थायी प्रभाव पड़ा. इन अस्वच्छ मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य स्थितियों के कारण मुझे वर्षों तक संक्रमण और दर्द का सामना करना पड़ा."
ग्रामालय के WASHMAN project का परिणाम
ये बदलाव NGO ग्रामालय के WASHMAN (Water, Sanitation, Hygiene education, Menstrual hygiene and Nutrition) project का परिणाम हैं. Bank Of America द्वारा समर्थित, इस पहल ने तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई जिले के 159 गांवों को 'Zero-Wastage' गांव बनने में सक्षम बनाया है. WASHMAN project के लक्ष्यों में hygiene education, menstrual hygiene management और nutrition awareness शामिल है.
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ग्रामालवा के संस्थापक और सीईओ एस दामोदरन कहते हैं- "परियोजना के तहत, किशोर लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता की शिक्षा दी जाती है और हमारे NGO के स्वास्थ्य शिक्षकों द्वारा समुदायों को social marketing की मदद से पर्यावरण के अनुकूल eco- friendly reusable cloth pads का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है." एनजीओ पिछले 36 वर्षों से ग्रामीण, शहरी, तटीय और आदिवासी क्षेत्रों में पानी, स्वच्छता और स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर रहा है.
खुले में शौच के खतरे को जन्म देती है, जो जल निकायों को प्रदूषित करती है और बदले में टाइफाइड, हैजा, दस्त और worm infections जैसी जलजनित बीमारियों को जन्म देती है. इन प्रकोपों को रोकने के लिए, यह NGO शौचालय उपलब्ध कराते हैं और ग्रामीणों को उनका उपयोग करने और रखरखाव करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं.
ग्रामालय ने वॉशमैन परियोजना के लिए मासिक धर्म के कपड़े के पैड सिलने के लिए तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले और तेलंगाना के जोगुलम्बा गडवाल जिले में स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित किया है, जिसने डालमिया भारत सीएसआरबॉक्स सीएसआर इम्पैक्ट पुरस्कार जीता है. यह बदलाव जो इस गाँव में आया वह देश के हर घर में ज़रूरी है. अगर महिला को उससे जुड़ी बातों के बारे में नहीं बताया जाएगा तो उसके बीमार होने के chances बढ़ते है और साथ ही वह अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी खतरें में डालेंगी. इसीलिए Gramalaya NGO जैसी पहल हर क्षेत्र में होना अनिवार्य हो चुका है.