महिलाएं बाँध रहीं पर्यावरण संरक्षण की डोर

उत्तरप्रदेश के जौनपुर ब्लॉक के टिकरी गांव में राधा रानी स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाएं चीड़ की पत्तियों से ईको फ्रेंडली राखियां बना रही हैं, जिन्हे ग्राहक काफी पसंद कर रहे है. जो ग्राहकों को काफी पसंद आ रही हैं. 

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रिसिका जोशी
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Pine leaves rakhiyan

Image Credits: ABP news (Image for Representation Purpose Only)

जौनपुर की SHG महिलाएं बना रहीं इकोफ्रेंडली राखियां

अगस्त का महिना आते ही त्योहारों और उमंग की लहर बढ़ जाती है हर व्यक्ति में. रक्षाबंधन हो या सावन, महिलाओं के लिए अगस्त का पूरा महिना कुछ ना कुछ ख़ुशी लेकर आता है. ऐसे ही कुछ महिलाओं ने अपने रक्षाबंधन को और नेचर फ्रेंडली और खुशहाल बनाने के लिए नए प्रकार की राखी बनाना शुरू की है. उत्तरप्रदेश के जौनपुर ब्लॉक के टिकरी गांव में राधा रानी स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाएं चीड़ की पत्तियों से ईको फ्रेंडली राखियां बना रही हैं, जिन्हे ग्राहक काफी पसंद कर रहे है. जो ग्राहकों को काफी पसंद आ रही हैं.

वन विभाग दे रहा महिलाओं को ट्रेनिंग 

जंगलों के दुश्मन माने जाने वाले चीड़ के पत्तों को एकत्र कर उसके इस्तेमाल से न केवल पर्यावरण संरक्षण हो रहा है, बल्कि जंगल में आग का खतरा भी कम हो रहा है. इससे महिलाओं को आमदनी बढ़ाने का मौका भी मिल गया है. वन विभाग की ओर से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से राखी समेत अन्य सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया जा रहा है.

सोनम देवी, जो कि एक राखी मेकर है, बताती हैं- "राखी बनाने के लिए हम चीड़ की पत्तियों के साथ रेशम के धागे का उपयोग कर रहे हैं. इसमें प्लास्टिक या उससे जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री नहीं लगाई जा रही है, इसलिए यह पूरी तरह ईको फ्रेंडली राखी है."

चीड़ की पत्तियों से बनाती है कई उत्पाद

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लॉक मैनेजर दीपक बहुगुणा बताते हैं- "प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल योजना को प्रोत्साहित करने की दिशा में इस योजना का संचालन किया जा रहा है. इसके साथ ही महिलाओं को लगातार पत्ती से आवश्यक सामग्री बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है." रक्षाबंधन का त्योहार करीब होने के कारण इन दिनों महिलाएं राखियां बनाने में जुटी हैं. हालांकि अन्य दिनों में वे चीड़ की पत्तियों से टोकरी, मोबाइल स्टैंड, पेन स्टैंड, गुलदान आदि भी बनाती हैं. यह महिलाएं राखियां बनाकर अपने लिए जीविका का स्त्रोत तैयार कर रहीं है. सरकार को इन महिलाओं के बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए और भी प्रयास करते रहने चाहिए. उत्तरप्रदेश के साथ बाकी प्रदेशों की महिलाओं को भी इस राखी के सीज़न में अपना बिज़नेस तैयार कर स्वावलंबी बनाने के तरफ कदम बढ़ाने चाहिए.

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