UMEED के साथ 'तिल्ला' कारीगर बढ़ रहीं आत्मनिर्भरता की ओर

गांदरबल की प्रसिद्ध 'तिल्ला' कला से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आजीविका कमा रही हैं. SHG को उम्मीद योजना के ज़रिये सरकारी अधिकारियों से ज़रूरी समर्थन मिला है.

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मिस्बाह
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Image: Ravivar vichar

स्वयं सहायता समूह स्थानीय कलाओं को बढ़ावा देने का ज़रिया बन रहे हैं (SHG promoting local art). कुछ ऐसा ही जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) के गांदरबल में भी देखने को मिला.

'तिल्ला' की महिला कारीगरों के SHG को मिला सरकार का समर्थन

गांदरबल की प्रसिद्ध 'तिल्ला' कला (tilla art) से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आजीविका कमा रही हैं. गांदरबल जिले में 'तिल्ला' के पारंपरिक शिल्प का हुनर रखने वाली दस महिला कारीगरों के एक समूह को सरकार के समर्थन से उनके जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है.

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Image Credits: Hamiast.com

सफापोरा में स्थित स्वयं-सहायता समूह को उम्मीद (Umeed) योजना के ज़रिये सरकारी अधिकारियों से ज़रूरी समर्थन मिला है. शिल्प को बढ़ावा देने और कारीगरों की अपनी टीम का विस्तार करने के लिए वित्तीय सहायता मिली है.

समूह सदस्य सकीना ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, "अधिकारियों से समर्थन के अलावा, हमारा समूह जरूरत पड़ने पर ऋण भी प्रदान करता है, जिसे हम तुरंत चुका देते हैं. साथ ही, हमारी कमाई में बढ़ोतरी हुई है, जिससे हम ज़रूरतें आसानी से पूरी कर सकते हैं."

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UMEED योजना से महिला कारीगरों के जीवन स्तर में आ रहा सुधारा 

समूह की विशेषता 'तिल्ला' का काम है, और वे अपनी शिल्प कौशल को फेरन, शॉल, सूट और शानदार पशमीना शॉल सहित कई तरह की वस्तुएं बनाने में करते हैं. इनके बनाये प्रोडक्ट्स की मांग मार्केट में काफी बढ़ रही है. 

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Image Credits: pastau

उम्मीद योजना के ज़रिये सरकार के समर्थन ने न सिर्फ पारंपरिक कला को संरक्षित किया है, बल्कि इन महिला कारीगरों के जीवन स्तर को भी सुधारा है, उन्हें आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण (economic empowerment) के अवसर प्रदान किए हैं. 

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