बायोमेडिकल कचरे के खिलाफ केरल की लड़ाई

बायोमेडिकल कचरे की लापरवाही से निपटने के लिए कोच्चि स्थित सार्वजनिक नीति थिंक टैंक सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च, गैर-लाभकारी संस्था के 'यूथ लीडरशिप फ़ेलोशिप' कार्यक्रम का हिस्सा बना.

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हेमा वाजपेयी
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Image Credits : downtoearth.org.in

केरल में बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन (biomedical waste management) समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. जबकि यह स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) से जुड़ी थी. अपशिष्ट प्रबंधन (waste management) शहरी चिकित्सकों, सरकारी अधिकारियों, साथ ही राज्य और स्थानीय सरकारों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है. आज के समय में कैंसर और अन्य संक्रामक रोगों के रिस्क को कम करने के लिए बायोमेडिकल वेस्ट कम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट: अभ्यास और चुनौतियां

बायोमेडिकल कचरे की लापरवाही से निपटने के लिए कोच्चि स्थित सार्वजनिक नीति थिंक टैंक सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च ने गैर-लाभकारी संस्था के 'यूथ लीडरशिप फ़ेलोशिप' कार्यक्रम का हिस्सा बना. पेरिंथलमन्ना में "बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट: अभ्यास और चुनौतियां" शीर्षक वाले रिसर्च को "अस्पताल शहर" के रूप में इसकी पहुंच और प्रतिष्ठा को देखते हुए पेरिंथलमन्ना नगर पालिका द्वारा चुना गया.

नगरपालिका में 12 निजी अस्पताल, एक सरकारी जिला अस्पताल, 19 मेडिकल प्रयोगशाला और 55 क्लिनिक हैं. शोध का उद्देश्य बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन के प्रभाव का मूल्यांकन कर बाधाओं को पहचानना था.

बायोमेडिकल वेस्ट को अलग किया जाता है चार रंगों की श्रेणी में 

2016 में, केंद्र ने बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन नियम के तहत बायोमेडिकल वेस्ट के प्रबंधन के लिए निर्देश दिए, जिसमें बायोमेडिकल वेस्ट को चार श्रेणी रंग के हिसाब से, पीला, लाल, सफेद, और नीला में बाटां है (waste segregation). 

पीले रंग के कूड़ेदान में शारीरिक, रासायनिक तरल और क्लिनिकल प्रयोगशाला वेस्ट, लाल रंग वाले कूड़े से डिस्पोजेबल आइटम्स से उत्पन्न वेस्ट, सफेद वेस्ट की श्रेणी में धारपेदार वस्त्र और धातुएं, ब्लू वेस्ट की श्रेणी में संकित कांच को छोड़कर सभी व्यापक ग्लास वेस्ट शामिल हैं.

हैल्थकेयर फेसिलिटी के कर्मचारियों को दी गई ट्रेनिंग 

एक्ट में बायोमेडिकल वेस्ट के सही प्रबंधन के लिए छः कदम, विभाजन, संग्रहण, पूर्व-संवादन, आंतरिक परिवहन, संग्रहण, उपचार की प्रावधानिकता देने का प्रावधान किया. इस प्रणाली के लिए हैल्थकेयर फेसिलिटी के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई, जो वेस्ट को अलग कर उसे सेंट्रल स्टोरेज सुविधा में पहुंचाते हैं.

हॉस्पिटल में पेशेंट्स के रूम में ज्यादा कचरा होता है, जिसे अलग करना मुश्किल काम बन जाता है, उन्हें जागरूक करने के लिए कमरे की दीवारों या दरवाजों के साथ-साथ कूड़ेदानों पर सेग्रीगेशन तकनीक के निर्देश चित्र के साथ प्रदर्शित करना चाहिए.

वर्तमान में, पेरिंथालमन्ना में बायोमेडिकल वेस्ट को पलक्कड के एक प्लांट में इकठ्ठा किया जाता है. पेरिंथालमन्ना के सभी 13 अस्पतालों, 19 प्रयोगशालाओं और 55 क्लिनिकों का मिलाकर बायोमेडिकल वेस्ट उत्पन्न होता है. एजेंसी क्लिनिक्स और प्रयोगशालाओं से वेस्ट हर हफ्ते दो से तीन बार इकठ्ठा करती है (waste collection).

घरों में भी बायोमेडिकल वेस्ट की जागरूकता जरुरी 

घरों में बायोमेडिकल वेस्ट जैसे सैनिटरी पैड, डायपर आदि उत्पन्न होता है. लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना और उन्हें वेस्ट उत्पन्न होने के समय अलग करने के महत्व के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए. प्रणाली को घरों  में भी लागू किया जा सकता है, जिसमें वेस्ट को उठाने और विनियमित तरीके से प्रबंधित करने के लिए QR कोड स्कैनिंग और अपलोड करने की तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है.

सार्थक और उचित वेस्ट प्रबंधन, जिसमें बायोमेडिकल वेस्ट भी शामिल है, जनस्वास्थ्य के लिए जरुरी है, और लापरवाही परेशानियों का कारण बन सकती है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि घरों पर भी बायोमेडिकल वेस्ट का प्रबंधन किया जाए और पेरिंथलमन्ना को मॉडल नगरपालिका बनाने के लिए यह प्रणाली अपनाई जाए.

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