हमारे समाज में, जहां सदियों से ही पुत्र की चाह रखी जाती है, वहां दूसरी बेटी के जन्म को अक्सर निराशा की नजरों से देखा जाता है. यह सोच कि एक बेटी के बाद अगली संतान बेटा हो, यह एक स्थायी भावना बन गई है. लेकिन, क्या इस दृष्टिकोण से हम उस नई जिंदगी के प्रति न्याय कर पाते हैं जो इस दुनिया में अपनी एक नई उम्मीद के साथ कदम रखती है?
दूसरी बेटी का जन्म कई बार परिवार में खुशियों की जगह चुप्पी का माहौल बना देता है. इस चुप्पी को तोड़ना जरूरी है. सभी को एक समाज के तौर पर यह समझना ज़रूरी है कि हर बेटी एक नई संभावना लेकर आती है, एक नया नज़रिया, एक नई शक्ति. उन्हें भी समान अवसर और प्यार मिलना चाहिए जैसा कि एक बेटे को मिलता है.
यह समय है कि हम अपने सामाजिक ढांचे को नए सिरे से आकार दें और हर बच्चे को, चाहे वह बेटा हो या बेटी, समान रूप से गले लगाएं. एक बेटी भी सूरज की पहली किरण की तरह होती है, जो अंधेरे को चीरती हुई नई रोशनी लाती है. हमें उसे उसकी पूरी क्षमता दिखाने का मौका देना चाहिए.
ऐसी ही सोच से लड़ते हुए आज Times Magazine 100 Most Influential People 2024 की लिस्ट में शामिल हुई है भारतीय मूल की ब्रिटिश शेफ अस्मा खान (British Restaurateur Asma Khan).
यह भी पढ़ें - घर में बेटी का स्वागत...कार को गुलाबी रंग का किया
Darjeeling Express से दे रहीं महिलाओं के सफर को गति
Asma Khan शादी के बाद Cambridge चली गईं. क्यूंकि उन्हें घर के खाने की बहुत याद आती थी, तो उन्होंने खाना बनाना सीखा और London में शिफ्ट होने बाद वहीं Soho में 'Darjeeling Express' के नाम से रेस्टोरेंट खोल लिया. इस रेस्टोरेंट की खासियत यह है कि यह एक "All Women Kitchen" है यानी यहां काम करने वाले पूरे स्टाफ में केवल महिलाएं हैं, जिनमें से ज्यादातर दूसरी बेटियां (Second Daughters) हैं. इनमें से अधिकतर महिलाएं South Asians (दक्षिण एशियाई) हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की प्रोफेशनल ट्रेनिंग (professional training) नहीं मिली है. इस रेस्टोरेंट में Bengali और Royal Indian cuisine परोसा जाता है. Asma के इस प्रयास से इन महिलाओं को ना सिर्फ आर्थिक स्वतंत्रता मिली, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी हासिल हुई.
Asma Khan की कहानी सिर्फ एक शेफ के रूप में उनके सफल करियर से कहीं अधिक है. यह एक महिला के संघर्ष और सफलता की कहानी है जिसने ना केवल खुद को साबित किया बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी. Asma की यह यात्रा Netflix के एक शो "Chef's Table" में भी दिखाई गई, जिससे उन्हें दुनियाभर में पहचान मिली. उनकी सफलता की कहानी ने कई लोगों को प्रेरित किया है और उन्हें खाना पकाने की कला के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने की प्रेरणा दी है.
यह भी पढ़ें - खुद के लिए जीना सीखा रही- 'नीरू सैनी'
परिवार की 'दूसरी बेटी' होना बना प्रेरणा
Asma का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता (Kolkata, West Bengal) में हुआ और वह वहीं पली-बढ़ीं. एक परिवार में जहां दूसरी बेटी का जन्म निराशा का कारण बना, Asma ने ना केवल उस निराशा को अपने अंदर समाया बल्कि उसे अपनी सफलता की प्रेरणा भी बनाया.
Asma बताती हैं कि उन्हें शुरुआत से खाना बनाना नहीं आता था. पर जब शादी के बाद Asma अपने पति के साथ Cambridge चली गईं तो वहां उन्हें घर के खाने की बहुत याद आती थी. इसीलिए उन्होंने cooking सीखना शुरू किया. वह मानती हैं कि इस दौरान उन्होंने ना सिर्फ खाना पकाने की कला सीखी, बल्कि अपनी मां के साथ भी रिश्तों में गहराई महसूस की.
यह भी पढ़ें - 'चार लोग क्या कहेंगे' का जवाब दे रही अंकिता कोंवर
Second Daughters Fund से दे रहीं ख़ुशी मानाने का संदेश
एक बेटी का दूसरी संतान होना, खास तौर पर जब पहली संतान भी लड़की हो,आज भी कई घरों में ख़ुशी की जगह चिंता का विषय बना हुआ है जिस सोच को बदलना बेहद ज़रूरी है. इस सोच का शिकार Asma खुद भी रहीं है, इसीलिए वह इस बात को बखूबी समझती हैं. समाज के इसी रूढ़िवाद को ख़तम करने के लिए उन्होंने 'सेकंड डॉटर्स फंड' (Second Daughters Fund) के नाम से एक पहल भी शुरू की. इस पहल के तहत उन्होंने दूसरी बेटियों के जन्म को सेलिब्रेट करने की एक नई परंपरा शुरू की. जब भी किसी घर में दूसरी बेटी का जन्म होता है तो वह मिठाइयां भेज कर उसे त्यौहार के रूप में मनाते हैं.
Asma सभी को यह संदेश देना चाहती हैं कि "परिवार का नाम ज़रूरी नहीं है कि केवल लड़के ही रोशन करें, लड़कियां भी उतनी ही ख़ास है जितने कि लड़के." Asma Khan का यह सफर ना सिर्फ उनके लिए, बल्कि हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रही है. हमें इस बात को समझना होगा कि कठिनाइयों का सामना करने पर ही हम अपनी पूरी क्षमता को पहचान सकते हैं और जीवन में सफल बन सकतें हैं.
यह भी पढ़ें - Swifites ने किया 'शेक इट ऑफ'