स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups), महिलाओं की आर्थिक आमदनी और सशक्तिकरण (women empowerment) लाने का ज़रिया हैं. महिलाओं को नए-नए रोजगार के अवसर देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की सरकार द्वारा इस पहल में ढिलाई की जा रही है.
रोजगार देने में समूहों के साथ बरती जा रही असमानता
ऐसा ही हुआ, लखनऊ (Lucknow), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा ब्लॉक में, जहां आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (women self help groups) को बनाया गया.
पहले इन समूहों को विभाग द्वारा अलग-अलग काम दिए जाते थे, जिससे उनकी आजीविका सुनिश्चित थी. पर कुछ ब्लॉक्स में समूहों को रोजगार देने में असमानता बरती जा रही है.
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SHG को उठानी पड़ रही आर्थिक परेशानियां
मथुरा ब्लॉक (Mathura Block, Lucknow) के रामपुर में 661 समूहों में से 528 को काम नहीं मिला है, जिससे Self Help Groups की महिलाओं को आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सुनवाई में भी कमी हो रही है.
661 में से 54 समूह 206 आंगनवाड़ी केंद्र (Anganwadi Center) के पोषाहार बाल विकास परियोजना कार्यालय (Nutrition Child Development Project office) से लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पहुंचाने, और 79 समूहों को गांवों में सामुदायिक शौचालयों का संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई.
इस तरह 133 समूहों को काम दिया गया, जबकि बचे 528 समूहों की करीब 4280 SHG महिलाओं को बेरोजगार छोड़ दिया गया.
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ब्लॉक में पहले कम स्वयं सहायता समूह होने के कारण उन्हें ज़्यादा काम दिया जाता था. इस समस्या का समाधान करने के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति बनाई गई है, ताकि SHG महिलाएं अपनी समस्याओं को दर्ज करा सकें और उनके समाधान के लिए उपयुक्त कदम उठाये जा सके.