अपनी स्पीड, स्टाइल, लक्ज़री, और स्लीक डिज़ाइन के लिए पहचान बनाने वाली मर्सिडीज, पर्यावरण संरक्षण में भी पीछे नहीं है.
'क्लीन ग्रीन नंदी' परियोजना को किया पूरा
मर्सिडीज-बेंज रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंडिया प्रा. लिमिटेड (एमबीआरडीआई) (Mercedes-Benz Research and Development India Pvt. Ltd.) ने पिछले पांच सालों में 46 हज़ार किलोग्राम कचरा साफ किया, 85 लाख लीटर जमा पानी एकत्र किया और नंदी हिल्स (Nandi Hills) पर 11 चेक बांधों का निर्माण किया.
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कंपनी ने बताया कि इन सफाई प्रयासों की वजह से नंदी हिल्स में प्लास्टिक उत्पादन में 3% की कमी आई है (Mercedes social initiative in Nandi Hills).
MBRDI बचा रहा नंदी हिल्स का प्राकृतिक सौंदर्य
एमबीआरडीआई (MBRDI) ने कहा कि उसने शहर के बाहरी इलाके में नंदी हिल्स के प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने और उसे संरक्षित करने के लिए पांच साल की परियोजना पहल 'क्लीन ग्रीन नंदी' (Clean Green Nandi) को सफलतापूर्वक पूरा किया.
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2018 में शुरू की गई, यह परियोजना पहाड़ियों पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या के जवाब में थी, जिसकी वजह से प्रदूषण (pollution), मिट्टी का कटाव (soil erosion) और वनों की कटाई (deforestation) जैसे गंभीर मुद्दे सामने आए. जीवनदायी नदियां सूखने लगी (drying rivers) और प्लास्टिक (plastic) कचरा जमा हो गया.
श्वेता पांडेय, वाईस-प्रेजिडेंट एंड जनरल काउंसल, MBRDI (Shweta Pandey, vice-president and general counsel, MBRDI) ने कहा, "हमने टोपोलॉजिकल सर्वेक्षण और समग्र अध्ययन के ज़रिये वैज्ञानिक रूप से इस मुद्दे पर संपर्क किया है और इसके बाद MBRDI ने जलाशयों को बचाने, वेस्ट कलेक्शन के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना, और बायोडायवर्सिटी की रक्षा करने के प्रयास किए हैं."
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SHG महिलाओं को ट्रेनिंग देकर बनाया सशक्त
कंपनी ने फुटहिल्स में स्थानीय महिलाओं के लिए 45-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (45-day training programme) चलाया ताकि उन्हें उखाड़े गए लैंटाना के तनों को पर्यावरण-अनुकूल घरेलू उत्पादों (eco-friendly products) में बदलने के तरीके सिखाए जा सकें.
लैंटाना (lantana) आक्रामक खरपतवार (invasive weed) है जो जैव विविधता (biodiversity) के लिए गंभीर खतरा है, जिसे तुरंत साफ़ किया जाना चाहिए. इस परियोजना के ज़रिये 60 एकड़ ज़मीन पर उगे लैंटाना को साफ किया गया. साथ ही महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (self help groups) के ज़रिये स्थायी आजीविका (Ajeevika) कमाने के लिए सशक्त भी बनाया.
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इस पहल के ज़रिये न सिर्फ पर्यावरण (environment) को बचाने में मदद मिली, बल्कि स्थानीय महिलाओं को उद्यमी बनाकर, उनके लिए रोज़गार (employment) के दरवाज़े भी खोले गए.