इतिहास गवाह है कि आज तक महिलाओं को राजनीती से दूर रखा गया. चाहे फिर वो देश के राजनीतिक फैसले हो या छोटे स्तर पर उनके शहर या गांव के. सरकार की स्थानीय शासन को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई पंचायती राज system में भी शुरू में महिलाओं को निर्णय लेने की भूमिकाओं से बाहर रखा गया था.
हालांकि, लैंगिक समावेशिता की ज़रुरत को पहचानते हुए, पंचायतों में महिलाओं के लिए भागीदारी सुनिश्चित करना अनिवार्य किया है. यह कदम देश में एक महत्वपूर्ण प्रगति की राह दिखा रही है. जब से सरकार ने पंचायत सिस्टम में महिलाओं के लिए seats के आरक्षण को अनिवार्य करा है, उनकी भागीदारी में भी वृद्धि हुई है. सरकार महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हुए, उन्हें leadership के अवसर प्रदान कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाते नज़र आती है.
सशक्तिकरण के लिए हरसंभव प्रयास
पंचायत मुख्य रूप से राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी हैं क्योंकि 'स्थानीय सरकार' एक राज्य का विषय है और पंचायतें State Panchayati Raj Acts के माध्यम से स्थापित और संचालित होती हैं. पंचायतीराज संस्थानों (PRI) में महिलाओं की भागीदारी स्थानीय शासन, सामाजिक परिवर्तन और स्थानीय आबादी को सामान रूप से आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा हिस्सा बनेगी.
Indian Constitution के 243D में ST, SC और पिछड़े वर्ग के नागरिकों और महिलाओं के लिए पंचायतों में seats के आरक्षण का प्रावधान है. 21 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों ने पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया है. देश की सरकार महिलाओं को सशक्तिकरण और समावेशिता की राह पर अग्रसर करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.
महिला प्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ावा
मंत्रालय ने ग्राम सभा की बैठकों से पहले अलग-अलग वार्ड सभा और महिला सभा की बैठकें आयोजित करने की सुविधा जारी भी की, और साथ ही ग्राम सभा और पंचायत बैठकों में महिलाओं की उपस्थिति और भागीदारी बढ़ाने के लिए भी राज्यों में काम आगे बढ़ाया. इसके अलावा, यह मंत्रालय पंचायतों में महिला प्रतिनिधियों की क्षमता को बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, ताकि वे ग्राम पंचायतों में अपने प्रभाव को बरक़रार रखें, और हर नियम का सही ढंग से पलायन करवा पाएं.
मंत्रालय ग्राम पंचायत विकास योजनाओं और पंचायतों द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं में भी महिलाओं की भगिडाइर को बढ़ाने के लिए अग्रसर है. पंचायत में महिलाओं की भागीदारी न केवल democratic representation का मामला है, बल्कि लैंगिक समानता, समावेशी शासन और सतत विकास प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है.