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बांस से राखियां बनाती छिंदवाड़ा की महिलाएं (Image Credits: Ravivar Vichar)
बांस से राखियां बनाती छिंदवाड़ा की महिलाएं (Image Credits: Ravivar Vichar)
यह राखी (Rakhi) जितनी आकर्षक है उतनी ही अलग तरह से बनाई गई. इस काम में जुटीं छिंदवाड़ा (Chhindwara) की दीपा डहरिया ने बताया-"इसके ऊपरी हिस्से को सजाने के लिए अलग-अलग बीज जैसे करंज, कचनार, यकोलिप्ट्स सहित अन्य पौधों के बीज लगाए सजाए गए. रक्षा बंधन के बाद इस राखी को किसी खुले स्थान मेंरो देने पर बीज अंकुरित हो जाएंगे. इन बीजों (Seeds) वाली राखी के जरिए बहनें भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधने के साथ-साथ पर्यावरण का संदेश भी देगी." इस तरह की राखियों के निर्माण से महिलाओं को अलग से कमाई होने लगी.
बांस से बनी हुई खूबसूरत राखियां (Image Credits: Ravivar Vichar)
छिंदवाड़ा (Chhindvara) के पूर्व मंडल के रेंजर पंकज शर्मा कहते हैं- "यहां कॉमन फेसिलिटी सेंटर (CFC) है. इस सेंटर में ही गांव की महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई. यहां राखियां बनाने के अलावा जूलरी,सोफसेट,पानी बॉटल, लैंप, रेस्टिंग चेयर, कृष्ण भगवान के झूले, मंदिर आदि चीज़ें बनाई जाती है.इस काम में 40 से ज्यादा महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हुईं." यहां सफलता के बाद जिला वन मण्डलाधिकारी बिजेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं- "यहां ट्रेन महिलाओं को दूसरे जिले में भी भेजा गया. इससे इन महिलाओं का आत्मविश्वास और बढ़ गया.आगे भी इस योजना को जारी रखा जाएगा. यह राखी रिश्तों के साथ पर्यावरण को मजबूत कर रही."
रिपोर्टर :संदीप चौकसे