“ हम महिलाएं तब तक समान नहीं हैं जब तक कि सबसे कमजोर लड़की को समानता न मिल जाए. और वह समानता केवल शिक्षा के ज़रिये से ही हासिल की जा सकेगी.”
ये शब्द कहे WISE पुरस्कार 2023 जीतने वाली पहली भारतीय महिला सफ़ीना हुसैन ने. Educate Girls NGO के ज़रिये सफ़ीना भारत में लड़कियों की शिक्षा की वकालत कर रही हैं (NGO working on female education).
बालिका शिक्षा को बढ़ावा दे रहा Educate Girls
तेजी से बदलती दुनिया में, भारत में सामाजिक बदलाव लाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है. सफ़ीना हुसैन के नेतृत्व में Educate Girls इस नवीन दृष्टिकोण का उदाहरण है. वह स्कूल न जाने वाली लड़कियों की अधिक संख्या वाले गांवों की पहचान करने के लिए AI टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल करता है (AI technology used for social benefit).
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इस जानकारी से लैस, 21 हज़ार से ज़्यादा लिंग चैंपियन इन लड़कियों की पहचान करने के लिए भारत के सबसे दुर्गम गांवों में घर-घर जाते हैं. सरकार और समुदायों के साथ साझेदारी कर, Educate Girls उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली दसे जोड़ता है.
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24 हज़ार गांवों की 14 लाख लड़कियों को जोड़ा Formal Education से
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के करीब 24 हज़ार गांवों में इस व्यापक दृष्टिकोण के ज़रिये अपनी स्थापना के बाद से 14 लाख से ज़्यादा लड़कियों को फॉर्मल एजुकेशन से जोड़ चुके हैं.
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एजुकेट गर्ल्स की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक शिक्षा में दुनिया के पहले डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड (DIB) का नेतृत्व करना है जो फंडिंग को परिणामों से जोड़ता है.
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WISE पुरस्कार के साथ, संगठन 10 वर्षों में 10 मिलियन किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं को प्रभावित करने के अपने अगले बड़े लक्ष्य के लिए पूरी तरह तैयार है. Educate Girls का फोकस शिक्षा पूरी करने से परे, लड़कियों और महिलाओं को रोजगार और कौशल के अवसरों से जोड़ना है.
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