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स्वयं सहायता समूह की सदस्य नीमच कलेक्टर ऑफिस पहुंची (Image Credit: Ravivar Vichar)
स्वयं सहायता समूह की सदस्य नीमच कलेक्टर ऑफिस पहुंची (Image Credit: Ravivar Vichar)
स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं को सांझा चूल्हा (Sanjha Choolha) स्कीम और मध्याह्न भोजन (MDM) योजना से हटा दिया जाए. इस स्कीम से जुड़े समूह और महिलाओं को मिलने वाला मानदेय भी पर्याप्त नहीं है. यहां तक कि भोजन बनाने वाला रसोइया खुद अपना पेट नहीं भर पा रहा. उसका मानदेय इतनी महंगाई के बावजूद केवल 500 रुपए महीना है. सभी का मानदेय बढ़ाया जाए. यदि मांगे नहीं मानी तो आगामी एक अगस्त से पूरे प्रदेश में स्वयं सहायता समूह इस योजना से दूर हो जाएंगे. सांझा चूल्हा बंद होने पर आंगनबाड़ी (Anganbadi) के बच्चों के कुपोषण (Anemic) की समस्या बढ़ेगी. इसकी जवाबदारी सरकार और शासन की होगी. प्रांतीय महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) महासंघ की नीमच (Neemuch) जिला इकाई ने महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and child welfare) के आयुक्त (Commissioner) के नाम कलेक्टर ऑफिस (DM Office) में नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन पत्र को पढ़ते हुए पदाधिकारी माया बैरागी (Image Credit: Ravivar Vichar)
जिला इकाई की अध्यक्ष माया बैरागी और सचिव पिंकी शर्मा ने शिकायत की, कि उनकी मांगों को लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा. सांझा चूल्हा में नाश्ता-भोजन बनाने वाले रसोइए को केवल 500 रुपए और मध्याह्न भोजन बनाने वाले को दो हजार रुपए महीना दिए जाते हैं. यह मानदेय दो हजार और छह हजार किया जाना चाहिए. विधार्थियों की उपस्थिति के अनुसार ही राशन खरीदी का भुगतान भी अभी नहीं किया जाता.बैरागी और शर्मा ने मांगपत्र में कहा कि समूह का स्थाई अनुबंध हो, जब तक समूह नया नहीं रखा जाए. साथ ही बीमा योजनाओं सहित गैस सिलेंडर खर्च और अन्य मांगे रखी. इस मौके पर कई समूह कि महिला सदस्य मौजूद थीं.
जिले में दो हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र हैं.जहां सांझा चूल्हा योजना और पूरक शक्ति पोषण योजना लागू है.