गुजरती भाषा में, कोई चीज़ जब बहुत अच्छी लगती है, तो उसे 'सरस' कहते है. यह शब्द सुनते ही लगता है कि कुछ बहुत ही सुंदर काम या वस्तु हमारे आसपास है. बिहार में भी हाल ही में एक ऐसे ही सरस मेले (Saras mela 2023) का आयोजन किया गया जिसका नाम भी सरस था और उसमें आयी हर महिला के प्रोडक्ट्स भी सरस थे.
बिहार सरस मेला में महिलाओं के प्रोडक्ट्स
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हाल ही में बिहार पटना (Bihar Saras mela) के ज्ञान भवन में सरस मेला पूरा हुआ जिसका उद्घाटन बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने किया था. इस मेले में बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह (self help groups) से जुड़ी महिला शिल्पकार ने अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति, परम्परा, व्यंजन और शिल्प का प्रदर्शित किया. इस मेले में कुल 135 स्टॉल पर महिलाएं अपने products बेच रही थी.
बहुत से राज्यों के लगाए स्टॉल्स
बिहार के 38 जिले से 80 JEEVIKA दीदियां अपने-अपने हस्तशिल्प और देसी व्यंजनों को लेकर इस मेले में उपस्थित हैं. अररिया से जुट से बने उत्पाद, अरवल से लकड़ी से बने उत्पाद, औरंगाबाद से डिजाइनर बैंगल्स, कारपेट और कालीन,आदि के स्टॉल यहां लगाए गए. मेले में व्यंजनों के 22 स्टॉल, हस्तशिल्प के 34 स्टॉल, हैंडलूम के 12, हस्तनिर्मित उत्पादों के 4, सिलाई केंद्र का 1, दीदी की रसोई के स्टॉल थे. जीविका दीदी की रसोई" के स्टॉल पर आगंतुक देशी व्यंजनों के स्वाद का लुत्फ़ उठाया. बिहार के अलावा अन्य राज्यों से हस्तशिल्प के 8 स्टॉल, हैंडलूम के 18, हस्तनिर्मित उत्पादों के 10 और अन्य व्यंजनों के 5 स्टॉल हैं.
मेले में बनी शराब की बोतल से बनी चूड़ियां लोगों को खूब पसंद आईं. पटना के सबलपुर की रहने वाली सुमन देवी ने ये चूड़ियां तैयार की और विभिन्न तरह के डिजाइन दिए. इस मेले में महिलाओं के बने उत्पादों को एक बहुत बड़ा मार्केट मिला ओर लोगों ने इनके प्रोडक्ट्स खरीद कर महिलाओं की आजीविका बढ़ाने की ओर एक सराहनीय कदम बढ़ाया. इस तरह के मेले हर राज्य में सरकार को assemble करने चाहिए ताकि महिलाओं की आजीविका तेज़ी से आगे बढ़ पाए.