विकास खन्ना (Masterchef Vikas khanna) ने हाल ही में Spicejet Airlines के साथ मिलकर एक पहल शुरू की जिसके मदद से वे Mijwaan Foundation को support करने का ठान चुके है. Mijwaan Foundation शबाना आज़मी का NGO है जो girl child empowerment के लिए हर संभव काम कर रहा है. शबाना आज़मी के birthday (Shabana Azmi Birthday) पर masterchef विकास खन्ना की ओर से यह उनका तौफा है.
विकास खन्ना कर रहे मिजवान NGO को support
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उन्होंने spicejet की इस flight में यह announce किया की शबाना आज़मी की foundation (Shabana azmi foundation) लड़कियों के लिए बेहतरीन काम कर रही है. उन्होंने कहा- "Shabana azmi के रूप में भारत को एक बेहतरीन कलाकार मिली है. मेरी अगली book Imaginary Rain में वह मुख्य किरदार के रूप में दिखाई देंगी."
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भारत की सबसे bold, experimental और versatile actors में से एक है शबाना. ऐसा शायद ही कोई genre होगा जिस में उन्होंने अपना बेहतरीन परफॉरमेंस नहीं दिया हो. Romance हो, sexuality explore करने की जर्नी हो, माफिया पॉलिटिशियन का किरदार हो, एक चुड़ैल का पोट्रेयल हो या homosexual रोल निभाना... शबाना ने हर emotion पर अपनी ऐसी छाप छोड़ी है जिसे उतार पाना नामुमकिन है.
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हाल ही में वे करण जोहर की फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी (Karan johar recent film rocky aur rani) में धर्मेंद्र को kiss करती दिखाई दी है. ये scene पर बहुत controversy भी हुई लेकिन शबाना ने सिर्फ एक statement में जवाब दिया और कहा- "एक बोल्ड एक्ट्रेस रोमैंटिक क्यों नहीं हो सकती?" इस फिल्म में वे सारे stereotypes को तोड़ती दिखाई दी है. चाहे वो extra marital affair की बात हो या उनके on-screen kiss की. करण जोहर ने इस फिल्म में बहुत से stereotypes को ब्रेक करने की सफल कोशिश की है, उसमें शबाना का हिस्सा बहुत बड़ा है.
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Vinay shukla की national award winning film Godmother संतोकबेन जडेजा की real life से inspired कहानी है. यह फिल्म इनके गुजरात में माफिया अभियान चलाने और फिर बाद में पॉलिटिशियन बनने की जर्नी को डेपिस्ट करती है. शबाना ने इस character की मज़बूती, धैर्य और दृढ़ संकल्प को perfectly depict किया है.
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5 बार National award winner रह चुकी है शबाना
अपने करियर की शुरुआत की उन्होंने 1975 में अंकुर फिल्म से जिसमें एक गाँव की महिला का किरदार निभाया उन्होंने. अंकुर फिल्म एक real story पर based कहानी है जो hyderabad में हुई थी. अपनी पहली ही फिल्म के लिए national award जीती थी शबाना और कुछ ही समय बाद अर्थ, कंधार और पार फिल्म के लिए भी शबाना आज़मी को 1983 से 1985 तक लगातार बेस्ट एक्ट्रेस नेशनल अवार्ड से सम्मनित किया गया.
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'पार फिल्म' में वह दिखी है अपनी पति नसरुद्दीन शाह को हर तरह से सपोर्ट करते हुए. फिल्म बनी है ग्रामीण बिहार में होते exploitation को पर्दे पर दिखाने के लिए. 'कंधार फिल्म' में जामिनी का किरदार एक ऐसी लड़की का है जो अपनी माँ के साथ खंडहर में रहती है. अकेली... लेकिन अपने अकेलेपन को कमज़ोरी ना समझने वाली लड़की का किरदार है जामिनी का. अपने भाग्य को स्वीकारती है और आगे बढ़ती है वह इस फिल्म के अंत में.
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'अर्थ फिल्म' में वह एक strong और self respect से भरी महिला के रूप में सबके सामनें दिखाई दी. इस फिल्म के आखरी सीन जब इंदर (कुलभूषण खरबंदा) अपने किए की माफी मांगते हुए शबाना के किरदार के घर लौटने की इच्छा जताता है तो वह सिर्फ एक सवाल पूछती है- "जो काम तुमने किया है, अगर वही काम मैं करती और फिर वापस लौटना चाहती तो क्या तुम मुझे स्वीकार कर लेते? इंदर इनकार में सिर हिलाता है. तब पूजा कहती है - यही जवाब मेरा भी है."
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मुंबई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से मनोविज्ञान (Psychology) में graduation कर चुकी है शबाना और एक्टिंग का कोर्स उन्होंने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिटीयूट ऑफ इंडिया (FTII) पुणे से किया है. उन्होंने अपनी life के almost 50 साल industry को दिए है और अभी भी काम करने से पीछे नहीं हट रहीं. वह कितनी versatile है, आप इसका पता लगा सकते है उनकी किसी भी फिल्म को देखकर. हर फिल्म में एक नया अंदाज़ और एक नया किरदार पेश करने में महारत हासिल कर चुकी है शबाना.
बहुत सी रियल लाइफ स्टोरीज़ की है शबाना ने
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'शक' और 'थोड़ी सी बेवफाई' फिल्म में उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया जो सच के साथ अडिग रहती है. 'कमला' फिल्म में उन्होंने एक रियल लाइफ स्टोरी को फिर पर्दे पार निभाया. उनकी फिल्में अक़्सर real life stories से इंस्पायर्ड होती थी. उनकी और भी फिल्में जो असली ज़िन्दगी से inspired है वो है, godmother, kandhar और masoom...
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नसीरुद्दीन शाह शबाना आज़मी (Naseeruddin Shah shabana azmi) की जोड़ी को on-screen बहुत पसंद किया जाता था. वह आज़मी के फेवरेट को-स्टार भी है. उनके साथ एक फिल्म स्पर्श में उन्होंने संवेदनशीलता और संयम को परफेक्शन के साथ दिखाया है स्क्रीन पर. यह एक visually impaired principal और teacher की कहानी है, जहां वे touch sense के साथ फिर से जुड़ने के लिए अपनी परेशानियों से लड़ते हैं.
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अगर शबाना स्पर्श जैसी इतनी sensitive फिल्म कर सकती है तो इसका ये मतलब बिलकुल नहीं की वह मंडी की rawness और adult story को नहीं निभा सकती. इस फिल्म में उनका किरदार एक कोठे को सँभालने वाली मैडम का है. इस फिल्म के लिए उन्होंने अपनी personality को इस तरह से बदला था जैसे वह उस character को जी रहीं हो. पान चबाना, हैदराबादी बोली, और वज़न बढ़ाना...सब कुछ किया था शबाना ने.
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एक और फिल्म जिसने भारत में इतिहास रच दिया था, वो थी Fire. 1996 में एक ऐसी स्टोरी जिसे शायद उस वक़्त कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था. शबाना ने राधा का किरदार निभाया जो एक Homosexual महिला थी. अपनी sister in law से attract होती है वह इस फिल्म में. यह फिल्म इंडियन सिनेमा की पहली फिल्म थी जिसने lesbianism जैसी fragile topic को portray किया था.
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एक और अनोखा किरदार था मकड़ी फिल्म में शबाना का. भयानक और डरावना होना भी उनके लिए बाए हाथ का खेल है. आज़मी बच्चों का शिकार करने वाली चुड़ैल के character में दिखाई दीं. उनका लुक जितना डराने वाला था, उतना ही intimidating भी था.
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म 15 पार्क एवेन्यू एक डार्क फिल्म है जिसमें उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है जो Schizophrenia से ग्रसित बहन को संभाल रही है. वह हर फिल्म में दिल से act करती है और इसीलिए एक perfection create कर पाती है. अपनी बीमार बहन के प्रति उसके दर्द और मौन प्रयोग को perfectly पहुंचाया गया है देखने वालों तक.
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शबाना के पिता का जन्म हुआ था UP के एक छोटे से गाँव Mijwaan में और आगे जाकर उन्होंने इसी गाँव के नाम पर अपने फाउंडेशन का नाम रखा. Mijwan welfare society भारत की उन कुछ NGO में से एक है जो पूरी तरह से GIrl Child and Women development के लिए सफल काम कर रहे है. इसकी प्रेजिडेंट है शबाना आज़मी और ग्रामीण महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) को भी बढ़ावा दिया है अपनी इस organisation के ज़रिए.
AIDS awareness के लिए फैला रही है जागरूकता
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साथ ही वह AIDS Awareness के लिए भी बहुत काम करती है. उन्होंने AIDS पीड़ितों के बहिष्कार के खिलाफ अभियान चलाया है. भारत सरकार द्वारा जारी की गई एक short film clip में एक HIV Positive बच्चे को गोद में लिया और कहा, "उसे आपकी अस्वीकृति की ज़रूरत नहीं है, उसे आपके प्यार की ज़रूरत है."
Nargis Akter द्वारा निर्देशित Meghla Akash नाम की बंगाली फिल्म में उन्होंने एड्स patients का इलाज करने वाली एक doctor की भूमिका निभाई. उन्होंने TeachAids NGO द्वारा बनाए गए HIV/AIDS education animated software tutorial में भी अपनी आवाज़ भी दी है.
स्ट्रांग, resilient, अपनी बात को साफ़ शब्दों में समझाने वाली, एक बेहद बेहतरीन एक्ट्रेस और इंसान है शबाना आज़मी. अपने समय में उन्होंने जिस तरह से करियर को prioritize किया... अपनी हर फिल्म में दिल और दिमाग लगाकर एक्टिंग की...sensitive इंसान होने के साथ strong कैसे रहा जाता है वो समझाया, हर वक़्त stereotypes को तोड़ा और अपनी personal life में भी कोई फैसला लेने से डरी नहीं... ये दर्शाता है कि महिला के अंदर जितनी शक्ति है उसकी कोई सीमा नहीं.