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Image: Ravivar vichar
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आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ, स्वयं सहायता समूह महिलाओं को समाज में अपनी जगह बनाने और अधिकारों की वकालत करने की शक्ति भी दे रहे हैं.
लिंग आधारित हिंसा (gender based violence) को ख़त्म करने में स्वयं सहायता समूहों (SHGs fighting gender based violence) की भूमिका को पहचानते हुए, केंद्र सरकार ने सामुदायिक स्तर पर पहुंच बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं को शामिल करने का फैसला लिया. हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को शिकायत दर्ज करवाने और अपने अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों की शक्ति को पहचाना है.
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इस अभियान का लक्ष्य लगभग 9.8 करोड़ महिला SHG सदस्यों को लिंग आधारित हिंसा पर आउटरीच बढ़ाने के लिए तैयार करना है.
लैंगिक हिंसा सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर बड़ी चिंता का विषय है. आंकड़ों से पता चलता है कि लिंग आधारित हिंसा (GBV) 3 में से 1 महिला को प्रभावित करती है. भारत में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 5 के आंकड़े बताते हैं कि 77% से ज़्यादा महिलाएं अभी भी हिंसा के अपने अनुभवों के बारे में रिपोर्ट नहीं करती, या उनके बारे में बात नहीं करती हैं.
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International Day for the Elimination of Violence Against Women के अवसर पर, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दूसरे मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर, इसी मुद्दे पर केंद्रित 'नई चेतना - पहल बदलाव की' के दूसरे वर्ष में 23 दिसंबर तक एक महीने तक चलने वाला अभियान शुरू किया.
Image Credits: IAS Toppers
आंध्र प्रदेश से लेकर नागालैंड तक, राज्यों की महिला SHG सदस्यों ने अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं और लड़कियों ने बाल विवाह को रोकने के अपने अनुभव साझा किए.
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अधिकारियों के अनुसार, जीवन के विभिन्न चरणों और संदर्भों में हिंसा के रूपों को समझने के बारे में जागरूकता बढ़ाने, GBV रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने और सुरक्षित निवारण को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
Image Credits: PIB
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अगले एक महीने में ब्लॉक स्तर और जिला स्तर पर जेंडर फ़ोरम्स की बैठकें आयोजित की जाएंगी. पुलिस स्टेशन कर्मियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे अन्य पदाधिकारियों के लिए सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप्स आयोजित की जाएंगी.
अधिकारियों का कहना है कि ब्लॉक स्तर पर DAY- NRLM के तहत स्थापित 3 हज़ार से ज़्यादा Gender Resource Centres के ज़रिये पहचानी गई महिला पीड़ितों को ज़रूरी सहायता हासिल करने में कारगर साबित होंगे.