हरियाणा में पराली जलाना छोड़ बना रहे खिलौने

हरियाणा के बागपत में खेतों में धान की पराली जलाना छोड़ कर सुंदर खिलौने बनाए जा रहे. SHG से जुड़ीं महिलाओं ने इसे कमाई का साधन बना लिया. उधर इससे होने वाले नुकसान पर भी रोक लगेगी. 

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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हरियाणा में पराली जलाना छोड़ बना रहे

हरियाणा के बागपत में पराली से बनाए हुए खिलौने (Image: Ravivar Vichar)

हरियाणा (Haryana) के बागपत (Bagpat) में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने नया मिशन चला कर नई पहचान बना ली. धान (Paddy Crop) की पराली (Stubble Burning) से बनाए जा रहे  खिलौने (Toys) बच्चों की पसंद बन रहे. Selp Help Group की महिलाओं ने यह काम शुरू किया. 

पर्यावरण के साथ मिल रोजगार मिला

पूरे देश  फसल पक जाने के बाद बचे हिस्से यानि पराली (Paralic) जलाने की मानसिकता किसानों में बनी हुई है. राज्य और केंद्र सरकारों की अपील के बावजूद खेतों में पराली जलाने (Stubble Burning)की आदत बनी हुई है. इससे अलग हरियाणा (Haryana) के बागपत (Bagpat) की महिलाओं ने पर्यावरण को बचाने की पहल की बल्कि इससे रोजगार भी बना लिया.

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देशभर में किसान इस तरह पराली जला देते हैं (Image: Ravivar Vichar)

   
श्री लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं ने यह शुरुआत की. श्री लक्ष्मी समूह (Shri Luxmi SHG) संचालक कोमल (Komal) ने बताया- "उनका समूह पराली (Stubble) से हाथी-घोड़े और दूसरे खिलौने (Toys)बना रहे. यह खिलौने 100 रुपए से ढाई सौ रुपए तक बिक जाते हैं. बच्चों को ये खिलौने बहुत पसंद आ रहे."

SHG खरीद रही सस्ते दामों पर पराल

इस नए काम से  पर्यावरण (Enviornment) सुरक्षा में बड़ा सहयोग माना जा रहा. श्री लक्ष्मी समूह के संचालक कोमल ने आगे बताया- "किसानों से सस्ते दामों से पराल खरीदकर ये खिलौने बनाते हैं. लकड़ी के सांचें में पराल यानी धान का भूसा भरकर कपड़े से आकर देते हैं.और सजा कर इसे बेचा जाता है."


समूह में दस सदस्य हैं जिनमें से 2 सदस्य पुरुष भी शामिल हैं. इस काम में समूह को सालाना 5 लाख रुपए की कमाई होने लगी. राज्य के अलावा उत्तरप्रदेश, पंजाब, मेरठ, मुजफ्फरनगर व अन्य जगहों पर भी प्रदर्शनी लगाई जाती है, जहां समूह को अच्छा मुनाफा मिल जाता है.


                       

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