छत्तीसगढ़ में  तैयार गोबर राखियों से सजेगा देश का बाज़ार

ख़ास राखियां इको फ्रेंडली बनाई गई और वह भी गोबर से. यह कमाल  कर दिखाया स्वयं सहायता  से जुड़ी महिलाओं ने. राखियों की खूबसूरती और और पर्यावरण सुरक्षा के दम पर छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा कई राज्यों से ऐसी राखियों की डिमांड थोक में आई.

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गोबर से तैयार राखियों को अलग-अलग डिज़ाइन दी गई (Image Credit: Ravivar Vichar)

छत्तीसगढ़ में  तैयार गोबर राखियों से सजेगा देश का बाज़ार 

छत्तीसगढ़ (CG) में एक बार फिर महिलाओं के काम की चर्चा पूरे देश में है. छत्तीसगढ़ (CG) में बनी राखियां (Rakhi) अब पूरे देश के बाज़ारों में नज़र आएंगी. ये ख़ास राखियां इको फ्रेंडली (Eco Friendly) बनाई गई और वह भी गोबर  (Dung) से. यह कमाल  कर दिखाया स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ी महिलाओं ने. राखियों की खूबसूरती और और पर्यावरण सुरक्षा के दम पर छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा कई राज्यों से ऐसी राखियों की डिमांड थोक में आई. राज्य के गौठानों (Gothan) में इन दिनों समूह की महिलाएं राखियां बनाने और उन्हें सजाने में व्यस्त है. यह आत्मनिर्भर बनने कि दिशा में नया कदम है.      

अयोध्या में राम दरबार में जाएगी गोबर से बनी राखी 

छत्तीसगढ़ (CG) के गौठानों (Gothan) के स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाएं इन दिनों गोबर की राखियां (Rakhi) बनाने में व्यस्त हैं. साथ ही बहुत उत्साहित भी. समूह से जुड़ी पूजा खुर्रा बताती है- "हमें जब से पता चला कि हमारी बनाई राखियां अयोध्या (Ayodhya)जाएगी,जहां भगवान श्री राम और भाइयों के साथ भक्त हनुमान को ये राखी समर्पित होगी हम बहुत खुश हैं." रायपुर (Raipur) के गोकुल नगर के गौठान में ये राखियां तैयार हो रहीं. समूह से जुड़ी लोमिन पाल कहती हैं- "हम बहुत मेहनत कर रहे. ख़ुशी है कि कई राज्य में ये राखी पहुंचेगी. राखियों के सूत्र में पवित्र मौली का उपयोग कर रहे."

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गोबर से तैयार सुंदर राखियां (Image Credit: Ravivar Vichar) 

इको फ्रेंडली 20 से ज्यादा डिज़ाइन

खास बात यह है कि इस तरह की इको फ्रेंडली  (Eco Friendly) राखियों (Rakhi) में 20 से ज्यादा डिज़ाइन दी गई. इनमें स्वस्तिक, फूल, ओम, चक्र, श्रीयंत्र जैसी पवित्र डिज़ाइन का रूप दिया गया. गौठान में 13 महिलाएं जुटी हुईं हैं. इस गौठान की लीडर नीलम अग्रवाल बताती है- "राखियां तीन हजार 500 से अधिक बन जाएंगी. इनमें स्टोन और मोती चिपका कर तुलसी के बीज डाले गए. इससे बाद में इन राखियों  को गमले में डालने पर तुलसी के पौधे तैयार हो जाएंगे. राखी कीमत लगभग 20 रुपए से लगा कर 35 रुपए तक होगी." पिछले साल एक गौठान को ही 70 हजार राखियों का ऑर्डर मिला था.

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सिर्फ रायपुर के इस गौठान में ही 13 महिलाएं काम कर रहीं. 

इसके अलावा  छत्तीसगढ़ (CG) के अन्य जिलों में गौठान में भी समूह (SHG) की महिलाएं  गोबर (Dung) से इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रहीं. सरगुजा (Sarguja)के लुंड्रा ब्लॉक में पुरकेला, लमगांव में भी समूह (SHG) की महिलाएं राखियां तैयार कर रहीं हैं.  इस बार राज्य के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात,उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी इस तरह की राखी की डिमांड आई. आजीविका मिशन बिहान (Ajiveeka Mission Bihan) के अलग-अलग जिलों में पदस्थ डीएमएम और नगर पालिका, निगम के प्रभारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट ने राखी निर्माण उद्योग का दर्जा ले लिया.

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