मध्यप्रदेश (MadhyPradesh) के शहडोल (Shahdol) में हुई एक दिलदहलाने वाली घटना के बाद जिला प्रशासन एक्शन मोड में है. जिले में दगना कुप्रथा (Dagna Kupratha) के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएगा. SHG की महिलाओं की इस मुहिम में खास भूमिका तय की गई. इस काम में महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) के कर्मचारी भी साथ देंगे.
मासूमों के जान के साथ अब नहीं होगा खिलवाड़
शहडोल (Shahdol) जिले में बरसों से चली आ रही दगना कुप्रथा (Dagna Kupratha) से किसी भी मासूम की जान नहीं जाएगी. और न ही किसी को शारीरिक तकलीफ देकर जलाया जाएगा. जिला प्रशासन ने नई रणनीति बनाई है.
शहडोल जिले का मासूम जिसके पेट पर गर्म सलाखों से जलाया गया (Image Credit: ABP news)
जिला पंचायत (ZP) मुख्य कार्यपालन अधिकारी (CEO) राजेश जैन (Rajesh Jain) ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा- "दगना कुप्रथा को रोकने के लिए स्वयं सहायता समूह, स्कूली छात्र-छात्राओं, की महिलाओं का सहयोग लिया जाए. पम्पलेट पर निमोनिया थीम बनाकर गांव-गांव मुनादी कराई जाए. साथ ही 0 से 7 के बच्चों को चिन्हित करने के साथ गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा कार्यकर्ता निरंतर निगरानी रखें."
बैगा, ओझा और तांत्रिकों पर सख्त नज़र रखने की भी हिदायत दी गई. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) विष्णुकांत विश्वकर्मा (Vishnukant Vishwakrma) बताते हैं- "महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता दाइयों के साथ Self Help Group की महिलाएं भी गांव में दागना कुप्रथा के खिलाफ काउंसलिंग करेंगी. गर्भवती महिला सहित मासूमों के परिवारजनों को निमोनिया और बुखार होने पर डॉक्टर से इलाज लेने की सलाह देंगी."
महिला एवं बाल विकास अधिकारी (WCD Officer) मनोज लारोकर (Manoj Larokar) ने अलग-अलग विभागों के लिए तय जिम्मेदारी की रुपरेखा मीटिंग में रखी.
3 माह की मासूम और 51 बार गर्म सलाखें !
शहडोल (Shahdol) शहर की ही पुरानी बस्ती में एक परिवार ने अपनी दूधमुंही 3 महीने की मासूम को निमोनिया हो जाने और लगातार बुखार होने पर गर्म सलाखों से दागा. यह कोई एक या दो बार नहीं बल्कि 51 बार दागा. हालत ख़राब होने पर अस्पताल ले गए. मासूम की हालत गंभीर हो गई.
कुछ जातियों और पुरानी रूढ़िवादी मानसिकता के चलते अंधविश्वास बना हुआ है कि निमोनिया और दिल की धड़कन तेज़ होने के साथ बुखार हो तो गर्म रॉड से बच्चों के पेट पर दागा जाता है. इससे बच्चे की तबियत ठीक हो जाती है.
इस बैठक में एएसपी (ASP) अंजूलता पटले (Anjulata Patel) व टास्क फोर्स कमेटी के समन्यक ने सुझाव दिया कि आदिवासी समुदाय अपने मुखिया की बात ज्यादा सुनता है.काउंसलिंग में ऐसे मुखियाओं की मदद ले सकते हैं.
इस बैठक में सीएमएचओ डॉ.आरएस पाण्डेय, डीपीओ मनोज लारोकर, मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ नागेन्द्र सिंह, डॉ निशांत प्रभाकर, डॉ सुनील हथगेल, आनंद अग्रवाल सहित कई अधिकारी मौजूद थे.