CG के Durg जिले में Self Help Group की महिलाओं Rural Swachh Bharat Mission के तहत लगभग 300 गांव में सफाई और कचरा प्रबंधन का काम शुरू किया. यह काम खुले में शौच मुक्त गांव (ODF प्लस) घोषित होने के बाद शुरू किया. Ajeevika Mission के अधिकारी इसे गाइड कर रहे.
Village सफाई के साथ SHG की बढ़ी कमाई
इस स्वच्छ भारत मिशन अभियान में जहां गांव में सफाई नज़र आने लगी वहीं SHG महिलाओं की कमाई भी बढ़ने लगी.
आजीविका मिशन के District Mission Manager (DMM) Sagar Pansari का कहना है - "इस काम में 300 पंचायतों में से 250 ग्राम पंचायतों में यह व्यवस्था लागू हो गई. इस काम में 200 से ज्यादा Self Help Group in Durg की महिलाओं को काम मिला."
दुर्ग जिले के कुथरेल पंचायत की प्रेम स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष दीपेश्वरी बताती हैं- "हम पिछले तीन साल से गांव की सफाई व्यवस्था संभाल रहे. हमारे पास दो साइकल वहां है. 10 सदस्य समूह में हैं. हमें पंचायत से हर महीने 3 हजार रुपए मिलते. इसके अलावा कच्चा कलेक्शन से निकलने वाला प्लास्टिक और दूसरा सामान भी बेच कर कमाई समूह ही रखता है. हम परिवार की महिलाओं को गीला और सूखा कचरा अलग करना बताते हैं."
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इसी पंचायत में एक दूसरा समूह वर्मी कंपोज़्ड (Vermicompost) भी बना रहा. इसके अलावा रिसामा पंचायत के मां शीतला स्वयं सहायता समूह की निलेश्वरी मणिकपुरी बताती है -"हमारे गांव में सफाई का नज़ारा बदल गया. ग्रामीणों में सफाई के लिए जागरूकता आने लगी. हम हर घर से कचरा एकत्रित करते हैं. हमारी अलग से कमाई होने लगी."
Durg के 381 गांव में बने Segregation Shed
Durg के 381 ग्राम पंचायतों में Segregation Shed बन गए. Self Help Group की महिलाएं इन शेड्स में घरों से एकत्रण किया कचरे में से गीला और सूखा कचरे के अलावा जैविक और दूसरे टाइप का कचरा अलग किया जाता है.
दुर्ग जिले के स्वच्छ भारत मिशन के जिला सलाहकार राजेश तांडेरकर बताते है- "दुर्ग जिले में प्रशासन के सहयोग से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कचरा प्रबंधन जैसे काम में जोड़ा. जिले की 35 पंचायतों में स्वच्छता tex भी लिया जाता. यह पैसा भी समूह की महिलाओं को देने से कमाई हो जाती है. हर गांव को दो-दो कूड़ा ट्राईसाइकिल की सुविधा दी गई." जिले में सभी ग्राम पंचायतों को स्वच्छता मिशन के तहत कवर किया गया.
दुर्ग जिले में कचरा साइकल में कचरा डालती महिला (Image : Ravivar Vichar)
स्वच्छता मिशन के ही सलाहकार गिरीश मथुरे आगे बताते हैं -"पंचायतों में गंदे पानी के सुरक्षित निपटान के लिए ग्रे एवं ब्लैक वाटर प्रबंधन का कार्य किया जा रहा. यानि मलयुक्त गंदे पानी की निकासी अलग करने की व्यवस्था है."
जिला प्रशासन के कलेक्टर (DM) पुष्पेंद्र मीणा (Pushpendra Meena) और जिला पंचायत (ZP) के CEO अश्विन देवांगन (Ashvin Devangan) लगातार इस काम के लिए मॉनिटरिंग कर रहे, जिससे जिले में स्वच्छता अभियान सफल हुआ.