अंग्रेजी सीखाकर टेक्निकल एक्सपर्ट बना रहा महिलाओं को सशक्त

महिलाओं को और साक्षर बनाने के लिए पालघर, महाराष्ट्र के एक तकनीकी विशेषज्ञ वेंकट अय्यर ने कुछ महिलाओं को Self Help Group बनाकर अपनी आजीविका तैयार करने और खुद को सशक्त बनाने की लिए प्रोत्साहित किया.

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रिसिका जोशी
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SHG women learning english

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महिलाएं जब हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी, चाहे फिर वो education हो, या business हो, तभी देश कि तरक्की और विकास निश्चित है. यह बात भारत की सरकार से लेकर, आम आदमियों को भी समझ आ चुकी है. देश का आर्थिक विकास महिलाओं के कंधों पर आ चुका है और ये महिलाएं देश को तेज़ी से आगे भी ले जा रहीं है.

SHG महिलाओं को वेंकट अय्यर सीखा रहे अंग्रेजी

स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाकर देश की 10 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं अपनी ज़िंदगियों और भविष्य को सवार रहीं है. इन्ही महिलाओं को और साक्षर बनाने के लिए पालघर, महाराष्ट्र के एक तकनीकी विशेषज्ञ (Technical Expert) वेंकट अय्यर ने कुछ महिलाओं को Self Help Group बनाकर अपनी आजीविका तैयार करने और खुद को सशक्त बनाने की लिए प्रोत्साहित किया.

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Image Credits: Sankalpa Rural Development Society

यह समूह पापड़, अचार, तिलगुल और करंजी जैसे घर का बना सामान बनाती और बेचती है. वेंकट अय्यर ने उनके लिए एक एंड्रॉइड मोबाइल (Android Mobile) भी खरीदा और उत्पादों की मार्केटिंग में मदद करने के लिए एक व्हाट्सएप खाता भी खोल कर दिया. वेंकट को समझ आया कि इन महिलाओं को अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए इंग्लिश सीखने की भी ज़रूरत पड़ेगी.

महाराष्ट्र की महिलाओं को साक्षर बनाने की है यह पहल

पहले वेंकट ने अंग्रेजी के टीचर्स को पढ़ाने के लिए बोला, लेकिन कोई भी गांव आकर महिलाओं को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं था. फिर उन्हें एक टीचर ललित चावला मिले, जिन्होंने इस अवसर पर कदम बढ़ाया और SHG प्रतिभागियों के लिए एक एनजीओ स्टेप अप इंडिया से बेसिक अंग्रेजी किताबें खरीदीं. इन किताबों में ऑडियो क्लिप से जुड़े क्यूआर कोड हैं.

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Image Credits: Sankalpa Rural Development Society

अय्यर इन महिलाओं को फ्री में यह कोर्स पढ़ा रहे है और उन्हें साक्षर बनाने की ओर एक बहुत ही नेक कदम उठा रहें है. स्वयं सहायता समूह की सदस्य बबीता देसाई ने कहा- “हम सभी उत्साहित हैं. इस उम्र में एक नई भाषा सीखने में कोई आपत्ति नहीं है. यह निश्चित रूप से हमारे व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन में मदद करेगा.” अगर देश का हर टीचर यह ठान ले की इन महिलाओं को हर तरीके से आगे बढ़ने के लिए वे कदम उठाएंगे तो बदलाव की तेज़ी दुगुनी हो जाएगी.

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