प्रधान सुनीता कर रहीं गांव का विकास

रकौली गांव की प्रधान सुनीता यादव ने पांच हजार की आबादी वाले गांव की कच्ची सड़कों को बनवाया. गांव के दो प्राथमिक विद्यालय और कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय का कायाकल्प के तहत इंटरलॉकिंग या टाइलीकरण करवाने के साथ स्कूल में शौचालय भी बनवाया.

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हेमा वाजपेयी
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महिलाएं गांव विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. गांव के विकास के लिए महिलाएं आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को सुधारने के लिए सक्षम हैं. ऐसी ही पहल मऊ (Mhow), इंदौर (Indore) की रहने वाली सुनीता (sunita) ने की. जिन्होंने सुविधाओं के आभाव से पिछड़े गांव के लिए काम कर सिर्फ दो साल में गांव की रूपरेखा ही बदल दी. और आज यह मॉडल गांव बन चुका है.

सुनीता ने रकौली गांव के विकास में अनेक कार्य किये 

परदहां विकासखंड में आने वाले रकौली गांव की प्रधान सुनीता यादव ने पांच हजार की आबादी वाले गांव की कच्ची सड़कों को बनवाया. गांव के दो प्राथमिक विद्यालय और कन्या उच्च  प्राथमिक विद्यालय का कायाकल्प के तहत इंटरलॉकिंग या टाइलीकरण करवाने के साथ स्कूल में शौचालय भी बनवाया. गांव में ढाई लाख रुपये की लागत से सौ स्ट्रीट लाइट लगवाईं.

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पशुओं के लिए किया काम 

गांव के विकास में आगे बढ़ते हुए सत्रह लाख की लागत से पांच बीघा जमीन में खेल का मैदान बनवाया और चौबीस लाख की लागत से अंत्येष्टि स्थल. पशुओं के लिए भी काम किया, बारह लाख की लागत से गोशाला बनवाईं. गोशाला में बेसहारा पशुओं को रखा जाता है. खेल मैदान में सुबह-शाम लोग टहलने के साथ अलग-अलग खेल जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल भी खेलते हैं.

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1.25 करोड़ रूपए की लागत से पानी की टंकी  बनवाईं

हर घर शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए हर घर नल योजना (Har Ghar Nal Yojana) के तहत लगभग 1.25 करोड़ रूपए की लागत से पानी की टंकी बनवाईं. गांव की रूपरेखा बदलने के लिए सुनीता को मुख्यमंत्री पंचायत पुरस्कार योजना (Chief Minister Panchayat Award Scheme) से ग्राम पंचायत के द्वारा सम्मानित किया गया.

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हाट बाजार में शाम को प्रतिदिन बाजार लगने से लोगों को सब्जी या घरेलू सामान खरीदने के लिए दूर बाजार नहीं जाना पड़ता. अमृत सरोवर के तहत गांव के करीब चार सौ लोगों को मनरेगा में रोजगार मिला. गांव में आंगनवाड़ी केंद्र बनवाया. साढ़े छह लाख की लागत से सामुदायिक शौचालय भी बनवाया है.

समूह बनाकर महिलाओं को रोजगार से जोड़ा 

गांव में तेरह महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (women self help group) बनाये, जिसमे 130 महिलाओं को रोजगार मिला. हर एक समूह में दस महिलाएं हैं. फंडिंग के ज़रिये पापड़, दोना, पत्तल की फैक्टरी लगाकर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को रोजगार दिया गया. 

सुनीता यहीं नही रुकी, गांव के विकास के लिए और भी कार्यों को प्रस्तावित किया, जैसे समूह सामुदायिक सेंटर, नया पंचायत भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और गांव के बाहर कूड़ाघर का निर्माण. गांव का पंचायत भवन जर्जर होने के कारण प्रधान सुनीता ने अपने घर में ही एक कमरा बनवा दिया है. यहां ऑनलाइन सारे काम किये जाते है,वाई-फाई की भी सुविधा दी गई है.

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सुनीता बताती है कि गांव में विकास में कोई काम नहीं हुआ था, उनके लिए यह बड़ी चुनौती थी. चुनौतियों से न घबराते हुए, गांव विकास में बदलाव के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए कार्य करने में लग गईं और दो साल के अंदर ही जल संरक्षण, स्वच्छता से लेकर रोजगार देने के हर संभव प्रयास को सफल बनाया. इसका परिणाम आज हमारे सामने है. उन्हें परिवार का भी साथ मिला.

सुनीता ने गांव के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई. स्वयं सहयता समूह की महिलाओं (women SHG) की आर्थिक साक्षरता बढ़ाई. इससे अब SHG महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं. लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ गांव में भी आर्थिक स्तर पर सुधार हुआ है. 

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