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Image Credits : The Hindu
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ओडिशा में बढ़ती शराब की दुकानों की संख्या के साथ आबकारी राजस्व में अद्वितीय 368% की वृद्धि देखी गई. दशकों से रायगड़ा जिले के ग्रामीणों ने अपने आसपास शराब या तंबाकू न बेचने का फैसला लिया. स्थानीय जनजाति गांवों में यह परंपरा जारी रखे जाने लगी. शराब की बिक्री पर समुदाय द्वारा लगाया गया प्रतिबंध जनजाति संस्कृति और परंपरा को बचाकर रखेगा.
दक्षिण ओडिशा जिले की पुतासिंह ग्राम पंचायत के सरपंच बताते है कि उन्हें याद नहीं कि गावों में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध कब लागू हुई. उन्हें बचपन से दुकानों में शराब नहीं दिखी.
रायगड़ा जिले के गुनुपुर के पास तलाना, सागड़ा, अबादा, पुतासिंघ, जलतार, चिनसारी और कुलुसिंग में 'सौरा' जनजाति के निवासी निवास करते है और यहां कि ग्राम पंचायतों में शायद ही किसी दुकान में कोई शराब या तंबाकू मिलेगा.
तलाना महिला स्वयं सहायता समूह (Odisha women self helps) की अध्यक्ष रामती सबर ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर ग्रामीणों ने शराब और तंबाकू (alcohol and tobacco ban Odisha) की बिक्री बंद करने के लिए कड़ी नीति अपनाई गई है. जिसमें अगर कोई गांवों में शराब बेचने की कोशिश करता है, तो उसे पहले प्रारंभिक चेतावनी जारी की जाती है. बिक्री तुरंत न रुकने पर ग्राम समिति की बैठक बुलाकर उल्लंघनकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.
किलुंग गांव की मायानी सबर बताती है कि घरेलू हिंसा, अक्सर शराब के सेवन से देखी गई है इसीलिए भविष्य में कभी भी इन उत्पादों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी.
ओडिशा की उत्पाद शुल्क नीति 2023-24 ग्रामीण क्षेत्रों में नई शराब की दुकानें खोलने को प्रोत्साहित न कर मौजूदा दुकानों में मासिक कोटा शराब स्टॉक में वृद्धि की गई है. मजबूत प्रवर्तन गतिविधियों की कमी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब कारोबारी फल-फूल रहे हैं.
हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य विधानसभा को सूचित कर बताया कि 2011-12 में ₹1379.91 करोड़ उत्पाद 2022-23 में यह कलेक्शन 368% बढ़कर ₹6455.06 करोड़ हो गया. वर्त्तमान में, ओडिशा में 509 मुख्य शराब की दुकानें, 1,240 शाखा दुकानें, 35 सैन्य कैंटीन, 46 बीयर पार्लर की दुकानें और 673 बीयर ऑन-शॉप संचालित की जाएंगी.