हम अक्सर अपने जीवन में छोटी-छोटी परेशानियों को लेकर बहाने बनाते हैं. कभी बारिश के कारण काम पर नहीं जाते, तो कभी ट्रैफिक का बहाना बनाकर देर से पहुंचते हैं. लेकिन अगर हम सच्चे दिल से कुछ करना चाहते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती. कुछ ऐसा ही देखने और सीखने मिला लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के अंतिम चरण में.
सब कुछ है मुमकिन, हिम्मत और हौसले के साथ
पंजाब के फाजिल्का (Fazilka, Punjab) की 47 वर्षीय सीमा रानी बचपन से ही दिव्यांग है. लेकिन, उनके हौसले को कोई सीमा नहीं रोक सकी. उन्होंने हाल ही में फाजिल्का के मतदान केंद्र पर अपने पैर की अंगुली से वोट डालकर एक नई मिसाल कायम की.
सीमा रानी ने ना सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का बटन अपने पैर से दबाया, बल्कि वोटर रजिस्टर पर भी अपने पैर से हस्ताक्षर किए. सीमा रानी का मानना है कि हर वोट महत्वपूर्ण है और हमें अपनी आवाज़ सुनानी चाहिए. इसीलिए, वह 18 साल की उम्र से ही नियमित रूप से वोट डालती आई हैं.
उन्होंने कहा,
“चुनौतियों के बावजूद, लोकतंत्र में भाग लेना हमारा अधिकार और जिम्मेदारी है. मैंने हमेशा अपने देश के विकास में भाग लेने की इच्छा रखी है. मेरी सीमाओं के बावजूद, मैं हर चुनाव में वोट डालती हूं. हर किसी को लोकतंत्र के इस महोत्सव में भाग लेना चाहिए.”
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आज़ादी से अब तक, हर चुनाव में दिया vote
घुबाया गांव, फाजिल्का में ही रहने वाली एक और महिला मतदाता (Female Voter) भी लोगों के लिए मिसाल बनीं. 118 वर्षीय, इंद्रो बाई एक ऐसा नाम है जो आज हर किसी के दिल में बसी हुई है. उम्र की सीमा को तोड़ते हुए, बेबे इंद्रो बाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हौसला और इरादा उम्र से कहीं बड़ा होता है.
इंद्रो बाई का जन्म 1906 में हुआ था. विभाजन के बाद उनका परिवार पंजाब के फाजिल्का (Fazilka, Punjab) में आ बसा. एक लंबी और संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा के बाद, इंद्रो बाई ने अपने परिवार के साथ एक नया जीवन शुरू किया. आज उनके परिवार में 100 से अधिक सदस्य हैं.
अपने जीवन के 118वें वर्ष में, इंद्रो बाई ने अपने मताधिकार का उपयोग कर एक मिसाल कायम की. वह तो vote डालने के लिए पोलिंग बूथ जाना चाहती थी, लेकिन चोट लगने के कारण वे वहां नहीं जा सकीं. फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी और प्रशासन की टीम उनके घर आई और पोस्टल बैलेट के जरिए उनसे वोट डलवाया.
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सीमा रानी और इंद्रो बाई की कहानी हमें सिखाती है कि जब हमारे अंदर कुछ करने की सच्ची इच्छा हो, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती. हम सबको इन महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए कि चाहे हमारे सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों ना आएं, हमें अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को निभाने से पीछे नहीं हटना चाहिए.