चाहे कॉर्पोरेट जॉब हो या पारंपरिक खेती, महिलाएं अपने किसी भी काम को करने में कोई कसर नहीं छोड़ती. ऐसी ही कुछ महिलाएं है है ओड़िशा के सुंदरगढ़ के गांव करलघाटी की जिन्होंने 2019 में अपना brown rice का बिज़नेस शुरू किया और उस दिन के बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा है.
ओडिशा के SHGs बढ़ा रहे ब्राउन राइस बिज़नेस
सुंदरगढ़ वन प्रभाग में उजलपुर वन प्रबंधन इकाई के तहत कार्लाघाटी वन सुरक्षा समिति (VSS) के 20 स्वयं सहायता समूह (self help groups) सदस्यों के रूप में एक परिवर्तनकारी यात्रा सामने आयी है, जो आत्मनिर्भरता और टिकाऊ कृषि का मार्ग प्रशस्त कर रही है. ओडिशा वानिकी क्षेत्र विकास परियोजना (OFSDP-II) से सशक्त होकर, शिवानी एसएचजी और मां मारिया एसएचजी ने यह बिज़नेस साथ में शुरू किया.
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पिछले चार वर्षों में, इन दृढ़ निश्चयी महिलाओं ने अथक समर्पण और रणनीतिक सहयोग के माध्यम से अपने सपनों को वास्तविकता में बदल दिया है. OFSDP-II के महत्वपूर्ण समर्थन और P-NGO टीम लीडर दिगंबर उपाध्याय और विकास अधिकारी मनोरंजन मल्लिक के मार्गदर्शन से, उन्होंने न केवल एक संपन्न ब्राउन राइस बिज़नेस (SHG women business) स्थापित किया, बल्कि एक उल्लेखनीय उद्यमशीलता भावना का भी प्रदर्शन किया है.
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SHG महिलाएं कर चुकी है 3.20 लाख का बिज़नेस
2022 में, self help groups ने 64 क्विंटल ब्राउन चावल बेचकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जिससे 3.20 लाख रुपये का पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ. उनकी सफलता इस साल भी जारी है और केवल नौ महीनों में कमाई 98,000 रुपये तक पहुंच गयी है.
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सुंदरगढ़ वन प्रभाग में OFSDP-II के माध्यम से, इन महिलाओं ने ना केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया है, बल्कि स्थानीय परंपराओं के संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाई है. इस पहल के एक अभिन्न अंग में पांच एकड़ भूमि पर जैविक तरीकों का उपयोग करके लुप्तप्राय देशी धान की किस्म 'लुसुरी' की खेती शामिल है. महिलाएं 'ढेंकी' जैसे पारंपरिक उपकरणों का उपयोग कर चावल को manual रूप से उगा रही है.
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एक सफल ब्राउन राइस विक्रेता मालती एक्का ने कहा, “ओएफएसडीपी-II के समर्थन और स्वैच्छिक संगठन 'SEWAK' के साथ चल रहे सहयोग से, हमने जैविक ब्राउन राइस के व्यापार के माध्यम से आत्मनिर्भरता हासिल की है. उन्होंने कहा, "आने वाले दिनों में, हमारे जैविक ब्राउन राइस का निर्यात करने और इसे राज्य के भीतर और बाहर एक अद्वितीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से, गांव की हर महिला को इसमें शामिल करने का लक्ष्य है."
सुंदरगढ़ डीएफओ प्रदीप मिरासे स्थायी कृषि और सामुदायिक कल्याण के प्रति समर्पण के लिए कार्लाघाटी की प्रेरक महिलाओं का तहे दिल से समर्थन और सराहना करते हैं. वह सफलता का श्रेय इन दूरदर्शी महिलाओं की कड़ी मेहनत और लगातार प्रयासों को दे रहे है. ये सशक्त महिलाएँ आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन में आगे बढ़ना जारी रखी हुई हैं, इसलिए इस काम से उन्हें निरंतर सफलता मिलती रहेंग और उनके परिवार बेहतर ज़िंदगियां जी पाएंगे.