हम जानते है की कैसे पहले से ही इस्तेमाल किये हुए products को reuse कर के ऐसा कुछ बना सकते है जो आगे हमारे काम आए, पर क्या अपने कभी सोचा कि यह माध्यम किसी की आजीविका चलाने का रूप ले सकता है?जब बात आती है अपने सपने पूरे करने की और अपने परिवार और बच्चो के भविष्य की तब महिलाओं को जरिया मिल जाता है अपनी राह बनाने का ओर इसमें परेशानियों का सामना करते हुए भी वो अपनी आजीविका के लिए innovative तरीके से काम करती है.
Gandhinagar की महिला ने हराया महामारी को
जब पूरा देश एक जानलेवा बिमारी COVID-19 से लड़ रहा था तब देश में हर किसी को अपने सपने पूरे करने में बाधाएं आ रही थी, उस दौरान भी कुछ महिलाएं अपना साहस बिना खोए एक अच्छा कल लिख रही थी. Gandhinagar, Nagamangalam की रहने वाली Ms. Chinnaponnu ने भी अपने जीवन के सबसे कठिन चरण का सामना किया जब उस महा मारी में उनके पति का देहांत हो गया और उन्हें जीवित रहने के लिए सहायता पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पढ़ा. वे एक आदिवासी समुदाय से थे और उनके ऊपर उनके 5 बच्चो की जिम्मेदारी थी.
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बचे हुए पुराने कचरे से तैयार कर रही जीविका
Inaintha Kaigal Women’s Doormat Producers ग्रुप जो की एक Self Help Group (SHG) है जिसकी सफलता इस समूह की 23 सदस्य जो एक साधरंद जीवन जीने का संघर्ष कर रही हैं, उनके लिए खुशी की बात है. होजरी और निटवेअर के Waste से बने डोरमैट ने Tiruchi के पास Nagamangalam की महिलाओं के एक समूह को आर्थिक आत्मनिर्भरता की दहलीज पर खड़ा कर दिया है. वे महिलायें तिरुपुर में एक आपूर्तिकर्ता से 50KG होजरी Waste खरीदते हैं और handloom machines का उपयोग करके उन्हें बुनते हैं. आकार के आधार पर प्रत्येक Doormat ₹10-15 में बिकता है; जिससे वो रूपए कमाने में सक्षम हैं.
तीन साल पहले उनकी अपील के आधार पर, तिरुचि स्थित non-governmental organization Society for Community Organization and People’s Education (SCOPE) ने गांधीनगर की महिलाओं के लिए 10 दिन डोरमैट बुनाई कार्यशाला का आयोजन किया। 150KG कपड़ा Waste के साथ तिरुपुर से तीन करघे खरीदे गए, और गांव के सामुदायिक हॉल में स्थापित किए गए।
उन्हें SCOPE द्वारा प्रदान किए गए एक Master बुनकर द्वारा 10 दिनों के लिए Free training दी गयी. 10 दिनों के भीतर वे 100 डोरमैट बनाने में सक्षम थे, जो कार्यशाला के समापन समारोह के दौरान बिक गए.
इन्ही के समूह की एक महिला ने बताया की - "हम अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं और उनके भविष्य के लिए बचत कर रहे हैं। बुनाई ने हमें आत्म-सम्मान और जीवन का एक लक्ष्य दिया है"
बुनाई ने दिया जीवन का एक लक्ष्य और आत्म-सम्मान
Best out of waste से नऐ और उपयोगी चीज़ें बनाना एक बहुत अच्छा और सुरक्षित तरीका है। यह न केवल हमारे पर्यावरण को बचाता है, बल्कि यह महिलाओं को आजीविका का अवसर भी प्रदान करता है। तिरुप्पुर की महिलाओं की सफलता की कहानी बहुत प्रेरणादायक है, वे न सिर्फ़ खुदको, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी सशक्त करती हैं. ये महिलाएं हमें हर वक़्त ये सीखा रही है की परेशानिया चाहे कितनी भी हो हार मानना किसी भी परेशानी का उपाय हो ही नहीं सकता. इन examples से हमे पता चलता है हमारे पास कितने powerful ओर safe solutions हैं।