भारत में तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य में, डिजिटल साक्षरता की ज़रुरत पहले से ज़्यादा स्पष्ट हो गई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि सामाजिक और आर्थिक विकास में डिजिटल शिक्षा की परिवर्तनकारी क्षमता की भूमिका अहम है. इस क्षमता का सही जगह, सही तरह से इस्तेमाल करने के लिए Digital Literacy स्तर को मापने की ज़रुरत है.
Digital Literacy का स्पेक्ट्रम सिर्फ़ Digital Skill तक सीमित नहीं
डिजिटल साक्षरता सिर्फ डिजिटल उपकरणों को संचालित करने के कौशल के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें व्यापक स्पेक्ट्रम शामिल है. इसमें डिजिटल उपकरणों को प्रभावी ढंग से समझना और इस्तेमाल करना, ऑनलाइन जानकारी का गंभीर मूल्यांकन करना और डिजिटल खतरों से बचाव करना भी शामिल है.
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डिजिटल साक्षरता का आर्थिक विकास से सीधा संबंध है. भारत 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने का लक्ष्य रखता है. ऐसे में हर उस पहलु पर ध्यान देने की ज़रुरत है, जिससे इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है, जैसे डिजिटल साक्षरता.
Economic Progress के लिए ज़रूरी Digital Literacy
वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए नागरिकों के बीच डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना रणनीतिक ज़रुरत बन गई है. डिजिटल रूप से साक्षर आबादी Digital Economy में सक्रिय रूप से भाग ले सकती है, जिससे रोजगार, उद्यमिता और नवाचार के नए रास्ते खुल सकते हैं.
इस वजह से भारत में डिजिटल साक्षरता को मापना ज़रूरी हो जाता है. डिजिटल साक्षरता स्तर का माप, उपकरण के रूप में काम करेगा, जिससे डिजिटल शिक्षा पहलों को लागू करने में आने वाली चुनौतियों का पता लगाने में मदद मिल सकेगी. इससे समुदाय की विशिष्ट ज़रूरतों के हिसाब से योजना बनाना आसान हो पायेगा.
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Digital Literacy को माप दूर होगा Digital Gap
साथ ही, इस तरह के माप नीति निर्माताओं को डिजिटल गैप को दूर करने के लिए लक्षित रणनीति तैयार करने में मार्गदर्शन देंगे, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि डिजिटल युग का लाभ समाज के हर तबके तक पहुंचे.
ज़मीनी स्तर पर, बुनियादी डिजिटल कौशल और महत्वपूर्ण डिजिटल सोच विकसित करना भी ज़रूरी है. आज इंसान चारों और इन्फॉर्मेशन से घिरा हुआ है, ऐसे में सभी को गलत सूचना और विश्वसनीय जानकारी के बीच फर्क पता होना चाहिए.
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Digital Literacy के ज़रिये स्कूल, कॉलेज करेंगे tech-savvy पीढ़ी को सपोर्ट
डिजिटल साक्षरता यूज़र्स को विशाल डिजिटल लैंडस्केप में जिम्मेदारी से नेविगेट करने के कौशल से लैस करती है, जिससे सूचित और जागरूक नागरिक वर्ग का निर्माण होता है.
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युवा पीढ़ी के बीच डिजिटल साक्षरता को आकार देने में स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका ख़ास है. फॉर्मल एजुकेशन करिकुलम में डिजिटल साक्षरता को शामिल करना सिर्फ एक ऑप्शन नहीं बल्कि ज़रुरत है. इससे आने वाली पीढ़ी tech-savvy बन, दुनिया में लगातार विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य को सहजता से अपना सकेगी.
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Digital Literacy के लिए ज़रूरी है Standardized Framework
डिजिटल साक्षरता को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क सही कदम साबित हो सकता है. एक standardized framework जरूरी कौशल और ज्ञान पर क्लैरिटी देगा, जिससे देश भर में डिजिटल शिक्षा पहल में स्थिरता आएगी. यह दृष्टिकोण डिजिटल रूप से सशक्त और एकीकृत भारत की नींव रखेगा.
भारत को अपने डिजिटल साक्षरता प्रयासों को प्राथमिकता देने के लिए, उन्हें मापना ज़रूरी हो जाता है. जैसे-जैसे दुनिया तेजी से डिजिटल भविष्य की ओर बढ़ रही है, डिजिटल साक्षरता में निवेश देश की समृद्धि और समावेशिता बढ़ाने में कारगर साबित होगा. डिजिटल साक्षरता को माप, सही ढंग से डिजिटल साक्षरता प्रयासों को लागू कर, भारत वैश्विक डिजिटल क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर, नागरिकों को डिजिटल युग में आगे बढ़ने के लिए सशक्त बना सकता है.