क्लाइमेट चेंज (climate change) की वजह से तटीय क्षेत्रों में तूफान से निपटने के लिए अलग-अलग कदम उठाये जा रहे हैं. इसी दिशा में कोलकाता के प्रयास कारगर साबित हुए.
महिला स्वयं सहायता समूहों ने Mangrove Plantation में निभाई अहम भूमिका
इस वर्ष जुलाई में, 'सुंदरबन मॉडल' (sundarban model) ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हासिल की. केंद्र सरकार ने 'मिष्टी' नामक 200 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी. यह पहल चक्रवाती तूफानों के प्रभाव को कम करने के लिए गुजरात से ओडिशा तक फैले भारतीय समुद्र तट पर व्यवस्थित और वैज्ञानिक मैंग्रोव वृक्षारोपण (SHG women involved in mangrove plantation) का विस्तार करती है.
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना और उत्तरी 24 परगना जिलों में फैली यह परियोजना महिला सशक्तिकरण का एक उल्लेखनीय उदाहरण भी बन गई है. महिला-प्रधान स्वयं सहायता समूह (SHG) समुद्र तट के किनारे मैंग्रोव के वृक्षारोपण और रखरखाव में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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पश्चिम बंगाल के विशेषज्ञों ने मैंग्रोव पौधों के रोपण, पोषण और रखरखाव पर दिया प्रशिक्षण
छह तटीय राज्यों - महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु और केरल - ने अपने-अपने राज्यों के लिए मैंग्रोव बीज की नौ किस्मों को प्राप्त करने के लिए पश्चिम बंगाल वन विभाग से समर्थन मांगा था. पश्चिम बंगाल के विशेषज्ञों की एक टीम ने इन राज्यों को मैंग्रोव पौधों के रोपण, पोषण और रखरखाव पर प्रशिक्षण प्रदान किया.
2007 से नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी (NEWS) के नेतृत्व में 'प्रोजेक्ट ग्रीन वॉरियर्स' की पहल के तहत, चक्रवातों से स्थायी सुरक्षा हासिल करने की दिशा में प्रयास किए गए.
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समुदायों को किया जा रहा जागरूक
यह परियोजना दक्षिण 24 परगना के सुंदरबन क्षेत्र में तीन गांवों-दुलकी-सोनागांव, अमलामेथी और मथुराखंड में शुरू हुई. यहां चक्रवाती तूफानों के खिलाफ मैंग्रोव वृक्षारोपण को लॉन्ग-टर्म रेजिस्टेंस टूल की तरह अपनाया गया. इस पहल का एक अहम पहलू स्थानीय समुदायों को मवेशी चराने और मछली पकड़ने का जाल खींचने जैसी हानिकारक प्रथाओं से बचने के लिए शिक्षित करना था, जिसकी वजह से अपरूटिंग और मिट्टी का कटाव होता था.
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सफल प्रयासों के बाद, मई 2009 में चक्रवात आइला के दौरान सकारात्मक प्रभाव देखा गया. मैंग्रोव वनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र सुरक्षित रहे, जबकि सुंदरबन के दूसरे हिस्सों को गंभीर नुक्सान पहुंचा. इस सफलता ने 2010 और 2015 के बीच धन जुटाने, रिस्क मैपिंग करने और 18 हज़ार से ज़्यादा स्थानीय महिलाओं की भागीदारी को प्रेरित किया.
सुंदरबन क्षेत्र में 14 सामुदायिक विकास खंडों के 183 गांवों में 4,600 हेक्टेयर में बड़े पैमाने पर मैंग्रोव वन लगाए गए. इस पहल को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 100-दिवसीय नौकरी परियोजना से भी जोड़ा गया, जिससे समुद्र तट की निरंतर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
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