ग्रीन स्टार्टअप 13: ब्लैक बाजा कॉफ़ी में सस्टेनेबिलिटी की महक

ब्लैक बाजा कॉफ़ी की शुरुआत जैव-विविधता-अनुकूल प्रथाओं के ज़रिये छोटे उत्पादकों को कॉफ़ी उगाने के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया था. ब्लैक बाजा कॉफ़ी की शुरुआत अर्शिया बोस की डॉक्टरेट रिसर्च के साथ हुई. 

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मिस्बाह
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black baza coffee arshiya bose

Image Credits: Verve

कॉफ़ी (Coffee) सिर्फ मॉर्निंग रिचुअल का हिस्सा नहीं, कई समुदायों, संस्कृतियों, और कहानियों की भी पहचान है. ऐसी ही एक मनोरम कहानी ब्लैक बाजा कॉफ़ी की है, जो अपने ख़ास स्वाद के ज़रिये पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) की खुशबू फैला रहा है. ब्लैक बाजा कॉफ़ी की शुरुआत जैव-विविधता-अनुकूल प्रथाओं (eco-friendly) के ज़रिये छोटे उत्पादकों को कॉफ़ी उगाने के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया था. ब्लैक बाजा कॉफ़ी की शुरुआत अर्शिया बोस (Arshiya Bose) की डॉक्टरेट रिसर्च के साथ हुई. 

ह्यूमन जिओग्राफर अर्शिया ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (Cambridge University) से जैव विविधता (Biodiversity) से जुड़े टॉपिक पर पीएच.डी. की. रिसर्च (PhD Research) के दौरान उन्होंने देखा कि कम्युनिटी की मदद से सस्टेनेबल कॉफ़ी प्रोडक्शन (Sustainable Coffee Production) को बढ़ावा दिया जा सकता है. इस मिशन के साथ उन्होंने 2016 में ब्लैक बाजा कॉफ़ी शुरू की.

650 से ज़्यादा छोटे उत्पादकों के साथ काम कर रहा ब्लैक बाजा कॉफ़ी

black baza coffee

Image Credite: BLack Baza Coffee

ब्लैक बाजा कॉफ़ी (Black Baza Coffee Company) प्रोडक्शन में ईको फ्रेंडली तरीकों से छोटे उत्पादकों को कॉफ़ी उगाने के लिए सशक्त बनाया जाता है. यह सस्टेनेबल स्टार्टअप कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और मेघालय में 650 से ज़्यादा छोटे उत्पादकों के साथ काम कर रहा है. ज़्यादातर उत्पादक जंगलों से मिलने वाले संसाधनों पर निर्भर हैं. कई तरह की भारतीय कॉफ़ी उगाने और भूनने के लिए स्थानीय उत्पादकों को मौसम और मिट्टी के हिसाब से  सस्टेनेबल फार्मिंग (sustainable farming) के तरीके बताये जाते हैं.

कॉफ़ी की कर रहे सस्टेनेबल फार्मिंग 

फेयर और ट्रांसपेरेंट पार्टनर (Fair and transparent partner) बन उत्पादकों का समर्थन किया. बिना किसी केमिकल (chemical free) का इस्तेमाल किये कॉफ़ी उगाई. कॉफ़ी की पैकेजिंग बायोडीग्रेडेबल पैकेट्स और टेप से होती है. इस पूरे प्रोसेस में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें रोल्स दिए गए, मीटिंग में उनकी मौजूदगी तय की गई, और उनके कौशल और विचारों को सुन काम में बदलाव किये गए.

ये सस्टेनेबल स्टार्टअप कॉफ़ी को सिर्फ ब्रेक्स का नहीं सशक्तिकरण का भी ज़रिया बना रहा है. ऐसे कई और स्टार्टअप्स ट्रेडिशनल बिज़नेस तरीकों में बदलाव लाने के साथ ग्रीन और क्लीन भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. रविवार विचार ऐसे सस्टेनेबल स्टार्टअप्स (sustainable startup) की जानकारी साझा करता रहेगा.

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