एक फेमस डायलॉग है 'सफ़र खूबसूरत है मंज़िल से भी', पर अगर सफ़र कार्बन फुटप्रिंट (carbon footprint) बढ़ाये तो मंज़िल की ख़ूबसूरती कम हो जाती है. सफ़र का आनंद बनाए रखने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए एंटरप्रेन्योर अपर्णा विनोद (Entrepreneur Aparna Vinod) ने इग्लूप्यूपा (Igloopupa) की शुरुआत की. उत्तरी केरल (Kerela) के थामरसेरी गांव में पली-बढ़ी अपर्णा 2010 से पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन को बढ़ावा देने में लगी हुई है.
इग्लूप्यूपा की वेबसाइट पर 56 ईको-फ्रेंडली प्रॉपर्टीज है लिस्टेड
Image Credits: Igloopupa
2014 में, अपर्णा ने द जैकफ्रूट ट्री (The Jackfruit Tree) की शुरुआत की. यह स्टार्टअप कोझिकोड और वायनाड में सर्विस्ड विला संचालित करता था. 2018 में, उन्होंने द जैकफ्रूट ट्री को छोड़ने का फैसला किया और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन (eco-friendly tourism) के लक्ष्य के साथ ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग प्लेटफॉर्म (online travel booking platform) इग्लूप्यूपा शुरू किया. स्टार्टअप ने होमस्टे, फार्म स्टे, ट्री हाउस, टेंटेड स्टे और कैंपसाइट जैसी करीब 150 सस्टेनेबल और पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रॉपर्टीज की पहचान की. अब तक इनकी वेबसाइट पर इस तरह की 56 जगहें लिस्टेड हैं.
सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स कैलकुलेशन मेथड करते है फॉलो
Image Credits: Igloopupa
अपर्णा और उनकी टीम प्रॉपर्टी को वेबसाइट पर लिस्ट करने से पहले उसकी सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज (sustainable properties) की जांच करते हैं. उस जगह पर ऑर्गनिक भोजन उपलब्ध है या नहीं, वॉटर और वेस्ट मैनेजमेंट (waste management) कितना सस्टेनेबल है, हर बात का ध्यान रखा जाता है. स्टार्टअप ने सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स कैलकुलेशन मेथड (सिम) बनाया है. ये प्रश्नों का एक सेट है जिसे संपत्ति मालिकों को प्लेटफॉर्म पर शामिल होने के लिए भरना होता है. ओवर टूरिज्म से बचने के लिए, प्लेटफ़ॉर्म पर लिस्टेड सम्पत्तियां एक समय में 20 से ज़्यादा यात्रियों को नहीं ठहराती है.
ईको-टूरिज्म (eco-tourism) को बढ़ावा देने वाला ये स्टार्टअप उन ट्रैवेलर्स द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है जो शहरों की आपा-धापी से दूर कुछ समय प्राकृतिक सुंदरता के बीच गुज़ारना चाहते हैं, वो भी प्रकृति को बिना नुक्सान पहुंचाए. विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (The World Travel and Tourism Council) ने बताया कि टूरिज्म ने ₹13.2 लाख करोड़ और भारत की जीडीपी में 5.8% का योगदान देते हुए 32.1 मिलियन नौकरियों का समर्थन किया. इस इंडस्ट्री को सस्टेनेबल बनाने से न सिर्फ कार्बन फुटप्रिंट कम होगी, बल्कि ट्रैवेलर्स को ईको-फ्रेंडली तरीके अपनाने और प्रकृति से जुड़ने का मौका भी मिलेगा.