ग्रीन स्टार्टअप 9: सफलता की ऑर्गनिक फ़सल उगा रही कोंडा उषारानी

20 साल की उम्र में विधवा होने के बाद घर वालों पर निर्भर हो जाना सबसे आसान रास्ता था. लेकिन इन्हें ये मंज़ूर न था. अपनी पहचान बनाने और दो बेटों के पालन-पोषण के लिए उन्होंने जैविक खेती का सहारा लिया. आज वे 500 किसानों की मदद कर रही है.

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मिस्बाह
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Image Credits: The Better India

20 साल की उम्र में विधवा होने के बाद घर वालों पर निर्भर हो जाना सबसे आसान रास्ता था. लेकिन इन्हें ये मंज़ूर न था. अपनी पहचान बनाने और दो बेटों के पालन-पोषण के लिए उन्होंने जैविक खेती (organic farming) का सहारा लिया. आज वे 500 किसानों की मदद कर रही है. आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के गुंटूर के नुटाक्की गांव के एक किसान परिवार की सदस्य कोंडा उषारानी (Konda Usharani) ने गरीबी की वजह से 10वीं कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई बंद कर दी. इलाके की बाकी लड़कियों की तरह उनकी भी 17 साल की उम्र में शादी कर दी गई थी.

शादी के तीन साल और दो बेटों को जन्म के बाद, कोंडा ने अपनी पति को दुर्घटना में खो दिया. रातो-रात परिवार का आर्थिक बोझ उषारानी के कंधों पर आ गया.

हल्दी, धान, और अमरुद की ऑर्गनिक फार्मिंग कर बनी सशक्त 

“शुरुआती वर्षों में, मैंने घरेलू सहायिका और सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम किया. लेकिन, इससे घर नहीं चल पाता. तभी मैंने गांव में अपने परिवार की ज़मीन पर खेती करना शुरू किया. 2013 में, मैंने हल्दी की खेती शुरू की,” 38 वर्षीय उषारानी ने बताया.

“मुझे और मेरे साथ वाले लोगों को कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा. हमें समझ आया कि यह रासायनिक पदार्थों की वजह से हुआ. 2016 में, मैंने प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग ली और कुछ और एकड़ जमीन किराए पर लेकर ऑर्गनिक खेती शुरू की. अब मैं पांच एकड़ जमीन पर धान और एक एकड़ में हल्दी की खेती करती हूं. कुछ अमरूद के पेड़ भी लगाए हैं,” कोंडा उषारानी बताती हैं.

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पशु मल, गोमूत्र, और नीम से खाद और कीटनाशक भी किये तैयार 

जैविक खेती के साथ-साथ वह पशु मल, गोमूत्र, और नीम से खाद और कीटनाशक (insecticide) भी तैयार करती हैं, जिसे वह गांव की दुकान के ज़रिये दूसरे किसानों को बेचती हैं. 2020 में, जिले के दो छात्रों की मदद से, उषारानी ने जैविक उर्वरक(organic fertilizer), बीज और कीटनाशकों को ऑनलाइन बेचने के लिए 'श्री वासवी दुर्गा ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स' (Sri Vasavi Durga Organic Products) वेबसाइट (website) शुरू की. वेबसाइट की मदद से वह 16 गांवों में अपने प्रोडक्ट्स बेच रही है. 

कोंडा कहती हैं, “महिलाओं के लिए आर्थिक आज़ादी बहुत जरूरी है. अगर आप पढ़े-लिखे नहीं हैं तो भी खेती जैसे पैसे कमाने के बहुत सारे तरीके हैं."

ऐसे कई और स्टार्टअप्स ट्रेडिशनल बिज़नेस तरीकों में बदलाव लाने के साथ ग्रीन और क्लीन भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. रविवार विचार ऐसे सस्टेनेबल  स्टार्टअप्स (sustainable startup) की जानकारी साझा करता रहेगा.

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