हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के वन विभाग अंतर्गत 'जाइका' (Japan International Coopretion Agency) परियोजना से SHG की महिलाओं को नई उम्मीद जगी हैं. खासकर हैंडलूम (Handloom) बनाने वाली SHG की महिलाओं को अधिक मदद मिल सकती है.
SHG के सपोर्ट करने की फारेस्ट विभाग ने दिखाई हरी झंडी
हिमाचल (Himachal) के वन विभाग (Forest Department) के आला अफसरों ने स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) को लेकर उनके प्रोडक्ट्स ब्रांडिंग (Products Branding) की कमान संभालने का फैसला लिया. बैठक में अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया (Nagesh Kumar Guleria) ने कहा- "गवर्निंग बॉडी की मीटिंग हर छह माह के भीतर आयोजित होती है. इस बार की बैठक में कई महत्वपूर्ण एजेंडे पर चर्चा हुई. कुल्लू में 'जाइका परियोजना' (Japan International Coopretionan Agency) के तहत 106 स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) शामिल किए गए जो हैंडलूम प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे. इन उत्पादों की ब्रांडिंग जाइका (JICA) करेगा."
हिमाचल के शिमला में आयोजित गवर्निंग बॉडी में शामिल हुए वन विभाग के अधिकारी (Image Credit: Social Media)
इसके अलावा हिमाचल (Himachal) में विलुप्त हो रहे 'टिशू कल्चर' प्रजातियों के पौधे भी 'जाइका' (JICA) की नर्सरियों में तैयार किए जाएंगे.
Self Help Group की महिलाओं ने कहा- "हमारे प्रोडक्ट्स को एक नए विभाग का साथ मिलेगा. इससे हमारी कमाई अधिक होगी. प्रदेश से बाहर हमारी पहचान भी बढ़ेगी."
हैंडलूम में SHG और क्वालिटी के बनाएंगे प्रोडक्ट्स
राज्य स्तरीय बैठक में प्रधान सचिव और वन एवं गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन डा.अमनदीप गर्ग ने कहा- 'जाइका परियोजना' में बहुत बेहतर काम हुए, लेकिन और अधिक डेवेलपमेंट के काम की जरूरत है. जाइका परियोजना (JICA Projact) में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) के सदस्यों का मनोबल बढ़ाएं और उनके प्रोडक्ट्स की ब्रांडिंग करें."
हिमाचल में तैयार नर्सरी JICA के अंतर्गत SHG संभाल रही (Image Credit: Social Media)
रिपोर्ट के अनुसार पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना क्षेत्र में बेहतर कार्य हो रहे हैं.पीसीसीएफ एवं वन विभाग के प्रमुख राजीव कुमार ने बताया- "प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना पर काफी काम हो रहा. इन योजनाओं में पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण, मधुमक्खी पालन, पत्तल व्यवसाय, मशरूम की खेती, हथकरघा एवं बुनकर समेत कई क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों को आजीविका कमाने के बेहतर अवसर मिल रहे हैं."