जैसे-जैसे पहले विधान सभा (Vidhansabha) और फिर लोकसभा (Loksabha) चुनाव (Elaction) नज़दीक आ रहे, वैसे-वैसे पीएम मोदी (PM Modi) ने अपना मास्टर स्ट्रोक खेल दिया.
उनके भाषणों के अंश पर ध्यान दिया जाए तो महिलाओं की सुविधा और सम्मान को ख़ास तवज्जो दी. चुनाव आयोग और निजी एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि अब महिला मतदाताओं का वोटिंग परसेंट लगातार बढ़ रहा.
'ड्रोन' से SHG महिला वोट पर नज़र !
PM Modi ने जो मास्टर स्ट्रोक चला उसमें कई एंगल बने. असर यह हुआ कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले सीधे महिलाओं तक हलचल बढ़ा दी. 15 अगस्त को अपने भाषण में मोदी ने तीन पॉइंट फोकस किए. मोदी ने कहा- "ग्रामीण महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा. देश में इस समय 10 करोड़ महिलाएं SHG से जुड़ीं हुईं हैं. अब इनमें से 15 हजार महिलाओं को Agriculture Drone दिए जाएंगे. इन्हें उड़ाना और मरम्मत की Training दी जाएगी."
ये महिलाएं सीधे गांव के किसान परिवार से जुडी हुई हैं. मोदी ने दूसरे पॉइंट में उन महिलाओं का ज़िक्र किया जो डोर टू डोर दस्तक देती हैं. "अब आप किसी भी गांव में जाते हैं तो बैंक वाली दीदी, आंगनबाड़ी वाली दीदी और दवाई वाली दिख जाती है."
तीसरे ख़ास पॉइंट में मोदी ने कहा- "महिला शक्ति किसी परिवार की ताकत होती है. उसके हाथ में पैसा होगा तो देश और परिवार का अधिक विकास होगा."
पीएम मोदी सामाज सेवी महिला से बात करते हुए (Social Media)
मोदी ने लोकसभा चुनाव के पहले बड़े वोटिंग पॉवर (Voting Power) को emotional कर दिया. इसके पहले 2014 हो या 2018 के भाषण में भी मोदी ने महिलाओं के सम्मान के लिए कभी शौचालय तो कभी जनधन खाते खुलवाने की बात कह कर साइलेंट वोटर की नब्ज़ पर हाथ रखा.
लाड़ली पर भी जाता रहे बहनों का लाड़
मोदी के भाषण का असर इतना हुआ कि प्रदेश स्तर तक लाड़ली बहनों से सरकारें लाड़ जाता रही. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री (CM) शिवराज सिंह चौहान (Shivrajsingh Chauhan) ने एक हजार रुपए महीने से 3 हजार रुपए महीने तक हर महीने खाते में जमा करने की बात कह कर रहे. सीएम ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के 1500 रुपए हर महीने लाड़ली के जमा करने की घोषणा का काउंटर किया. ऐसे ही चाहे छत्तीसगढ़ हो या कोई प्रदेश, SHG को वोट बैंक मान लिया. यहां तक कि इन लाड़लियां को भी Self Help Group में शामिल करने की बात कही. इसके अलावा हर राजनीतिक पार्टी में उज्वला गैस सिलेंडर रेट्स और तमाम सुविधा देने की घोषणा में टारगेट स्वयं सहायता समूह ही है.
255 से 84 लाख SHG का परिवार
भारत में 1990 से शुरू हुआ स्वयं सहायता समूह का सफर अब लाखों की संख्या में पहुंच गया. आजीविका मिशन के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 255 से शुरुआत हुई. 2005 में 16 लाख और 2014 तक इन समूह की संख्या 74 लाख पार कर गई. इस समय लगभग साढ़े 83 लाख SHG में महिलाऐं सदस्य हैं. जिन्हें NABARD (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) से Financial Linked होने से समूह के सदस्यों को लोन सुविधा मिली. महिलाओं के हेंडीक्राफ्ट और दूसरे प्रोडक्ट्स ने उन्हें नई पहचान दी. Self Help Group को मिलने वाली सुविधा से उनका आत्मविश्वास बढ़ा. आने वाले चुनावों में महिलाओं खासकर समूह की ये सदस्य निर्णायक वोट साबित होंगे.