'इक्वल' गोल्स पर ज़ोर देते छेत्री

सुनील छेत्री ने कहा था कि महिला टीम पुरुष टीम से बेहतर है. पुरुष टीम 211 देशों में से 103वें स्थान पर है, जबकि महिला टीम वर्तमान में 152 देशों में से 62वें स्थान पर है. सुनील ने खेल जगत में इक्वल पे यानी समान वेतन की ज़रुरत पर भी बात की है.

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मिस्बाह
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Image Credits: Ravivar vichar

व्यवसाय की तरह खेल जगत में भी पुरुषों का दबदबा बना हुआ है. विश्व स्तर पर सभी खेल प्रतिभागियों में से 40 % महिलाएं  हैं, फिर भी महिलाओं के खेलो को केवल 4% मीडिया कवरेज ही मिल पाता है (women in sports). फुटबॉल टीम (football team) के कप्तान सुनील छेत्री (captain Sunil Chhetri) ने खेल जगत में महिला भागीदारी को बढ़ावा देने पर ज़ोर डाला. पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो (cristiano ronaldo) और अर्जेंटीना के लियोनेल मेस्सी (Lionel Messi) के बाद अंतरराष्ट्रीय मैच में छेत्री दुनिया में तीसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं.

मां से मिली स्पोर्ट्समैन स्पिरिट 

छोटी उम्र से ही उन्होंने अपनी मां सुशीला से प्रेरणा हासिल कर खेल जगत में कदम रखा (Chhetri inspired by his mother). उनकी मां कैरम बोर्ड, चाइनीस चेकर, वॉली बॉल, स्प्रिन्तिंग,  फुटबॉल, रेसलिंग जैसे खेलों में शानदार परफॉरमेंस के लिए जानी जाती थी. उन्हीं से छेत्री ने स्पोर्ट्समैन स्पिरिट सीखी और फुटबॉल में इंडिया को रिप्रेजेंट करने के लिए प्रोत्साहित हुए. वह बताते हैं कि वह भाग्यशाली थे कि उनका पालन-पोषण ऐसे घर में हुआ जहां दो शानदार और मजबूत महिलाएं थीं, उनकी मां और छोटी बहन बंदना. छेत्री मैरी कॉम, सानिया मिर्जा, और पीवी सिंधु जैसी महिला खिलाड़ियों से प्रेरणा हासिल करते है. 

खेल जगत में महिलाओं को कर रहे प्रेरित  

फुटबॉल कप्तान सुनील छेत्री ने कहा था कि उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिला  टीम (women football team) पुरुष टीम से बेहतर है. पुरुष टीम 211 देशों में से 103वें स्थान पर है, जबकि महिला टीम वर्तमान में 152 देशों में से 62वें स्थान पर है. सुनील ने खेल जगत में इक्वल पे (equal pay in sports) यानी समान वेतन की ज़रुरत पर भी बात की है. उनका मानना है कि समाज और खेल के प्रोफेशन में जागरूकता और बेहतर शिक्षा के ज़रिये समानता आ सकेगी, जिसकी शुरुआत घर से और खास तौर पर स्कूल से की जानी चाहिए. 

भारतीय फुटबॉल (Indian football) पर सुनीत छेत्री का जादू और फुटबॉल को बढ़ावा देने में उनकी अहम भूमिका ने इंडियन फुटबॉल को ऊंचाई पर पहुंचाया है. फुटबॉलरों की आने वाली पीढ़ी के लिए इंस्पिरेशन बने और लड़कियों और महिलाओं को भी इस खेल से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. 

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