पिनटेरेस्ट (Pinterest), वर्डप्रेस (wordpress) जैसे प्लेटफॉर्म्स से आपने भी कभी मिनिमलिस्ट आर्ट (Minimalist Artist) की कोई पोस्ट अपनी मोबाइल गैलरी में सेव की होगी. इंडियन मिनिमलिस्ट आर्टिस्ट्स (Minimalist Artist) ने कला की इस केटेगरी को अपने सरल एलिमेंट्स (elements) से उसे मेनस्ट्रीम आर्ट (mainstream art) का हिस्सा बनाया. राम कुमार (Ram Kumar), नसरीन मोहम्मदी (Nasreen Mohamedi), जेराम पटेल (Jeram Patel) और राजेंद्र धवन (Rajendra Dhawan) जैसे मिनिमलिस्ट आर्टिस्ट्स ने इस कला को इंडिया में लोकप्रिय बनाया. इस सूची में एक और नाम है ज़रीना हाशमी (Zarina Hashmi) का जिन्होंने कला की दुनिया में अलग छाप छोड़ी.
Image Credits: Zarina.work
सेमि-एब्स्ट्रैक्ट इमेजरी से दुनिया भर में मिली लोकप्रियता
1937 में अलीगढ़ (Aligarh) में जन्मी ज़रीना हाशमी (Zarina Hashmi) ने कुशल कलाकार और प्रिंटमेकर (printmaker) के रूप में अपनी पहचान बनाई. उन्होंने आर्ट का इस्तेमाल महिलाओं और आर्टिस्ट्स (artists) को सपोर्ट करने के लिए किया. उनके वुडकट्स (woodcuts) और इंटैग्लियो प्रिंट (intaglio prints) में घरों और कस्बों की सेमि-एब्स्ट्रैक्ट इमेजरी (semi-abstract imagery) शामिल थी. इस अनोखे अंदाज़ से उन्हें दुनिया भर में लोकप्रियता मिली. वह क्रिएटिव (creative) और इंटेलेक्चुअल (intellectual) माहौल में पली बढ़ीं, जिसने उनके कलात्मक रुझान को बढ़ावा दिया.
Image Credits: Zarina.work
घर से दूर हो जाने और यादों से जुड़े विषय बने कला का हिस्सा
गणित में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क (New York) में आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर को आगे बढ़ाया। ज़रीना ने अपने आर्टवर्क्स में कागज, लकड़ी और मेटल सहित कई मीडियम्स का इस्तेमाल किया. उनकी कला अक्सर घर से दूर हो जाने और यादों से जुड़े विषयों की खोज करती। इमिग्रेंट होने के नाते ज़रीना आइडेंटिटी और अपनेपन के सवालों से उलझी, जो उनकी कला में दिखाई दिया.
भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, उन्होंने 2011 वेनिस बिएननेल में भाग लिया, और उनकी प्रदर्शनी 'ज़रीना: पेपर लाइक स्किन' (Zarina: Paper Like Skin) यूनाइटेड स्टेट्स के कई प्रसिद्ध म्यूज़ियम्स में प्रदर्शित की गई। गूगल डूडल (Google Doodle) में भी उनका ज़िक्र किया गया. अल्जाइमर रोग से जूझने के बाद ज़रीना हाशमी का 25 अप्रैल, 2020 को लंदन में निधन हो गया। उनके गुज़र जाने के बाद भी उनकी कला लोगों को प्रेरित कर रही है.
ज़रीना कहती है, "किसीने सही कहा है, आप फिर कभी घर नहीं जा सकते। मुझे कहीं भी घर जैसा महसूस नहीं होता, लेकिन मैं जहां भी जाती हूं घर का विचार मेरे साथ चलता है."