ग्रीन स्टार्टअप 5: सस्टेनेबल डायमंड बचा रहे प्रकृति की चमक

डायमंड ज्वेलरी की कीमत सिर्फ पैसे नहीं पर्यावरण भी है. हीरे की खदानों के संचालन में इस्तेमाल होने वाले ऊर्जा स्रोत ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ावा देता हैं. इस पर रोक लगाने के लिए जीवा ने तरीका बदलने का सोचा और लैब ग्रोन डायमंड बनाये. 

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मिस्बाह
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giva anoushka sharma

Image Credits: Giva

जितनी चमक Giva की  ज्वेलरी में है, उतना ही चमक उसकी शुरुआत करने वाली निकिता प्रसाद (Nikita Prasad) के सपनों में थी. 2019 में इस डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर फर्म (Direct-to-consumer firm) की शुरुआत निकिता प्रसाद ने की. सचिन शेट्टी (Sachin Shetty) और ईशेंद्र अग्रवाल (Ishendra Agrawal) ने सिल्वर ज्वेलरी (silver jewellery) को अलग चमक देने के सफ़र में जीवा को पहचान दिलाई. तीनों फाउंडर्स GIVA की इन-हाउस रिसर्च और फोरकास्टिंग (researching and forecasting) टीम के साथ ग्लोबल और लोकल ट्रेंड्स पर नज़र रखते है. 

लैब में बनाये ईको-फ्रेंडली डायमंड 

डायमंड (diamond) हमेशा से ही महिलाओं की पसंद रहे हैं. लेकिन, डायमंड ज्वेलरी की कीमत सिर्फ पैसे नहीं पर्यावरण भी है. हीरे की खदानों के संचालन में इस्तेमाल होने वाले ऊर्जा स्रोत ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ावा देता हैं (diamond mining lead to greenhouse gases). हीरा खनन (diamond mining) में इस्तेमाल किए जाने वाले डीजल ईंधन, बिजली और हाइड्रोकार्बन सभी हवा में हानिकारक कार्बन (harmful carbon) छोड़ते हैं. खनन किए गए हीरे के प्रति पॉलिश कैरेट में औसतन 160 किलोग्राम ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं. इस पर रोक लगाने के लिए जीवा (Giva) ने तरीका बदलने का सोचा और लैब ग्रोन डायमंड (lab grown eco friendly diamond) बनाये. 

लैब में बने हीरे क्वालिटी या सुंदरता से समझौता किए बिना, सस्टेनेबल और एथिकल विकल्प देते हैं. ये पहल लक्जरी ज्वेलरी इंडस्ट्री (luxury jewellery industry) को परिभाषित कर रहे हैं. ये चमचमाते रत्न धरती से खोदे जाने के बजाय प्रयोगशाला में बनाए गए हैं. वे बिल्कुल प्राकृतिक हीरे की तरह शुद्ध कार्बन से बने होते हैं, इसलिए वे बिल्कुल एक जैसे दिखते हैं. इसके बनाने में कम कार्बन फ़ुटप्रिंट, कम पानी का इस्तेमाल और कम वेस्ट प्रोड्यूस होता है.

डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर ब्रांड GIVA की शुरुआत सिल्वर ज्वेलरी बनाने और वेबसाइट पर बेचने से हुई 

निकिता प्रसाद ने NIFT से ग्रेजुएशन करने के बाद 2015 में ज्वेलरी डिजाइन डिपार्टमेंट में इंटर्न के रूप में डिजाइन इंडस्ट्री में करियर शुरू किया. डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर ब्रांड के रूप में, फर्म के प्रोडक्ट्स तरह-तरह के डिस्ट्रीब्यूशन चैनलों के ज़रिये बेचे जाते हैं, जिनमें GIVA वेबसाइट, एंड्रॉइड ऐप, एक्सक्लूसिव स्टोर, अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और शॉपर्स स्टॉप, रिलायंस के ऑफ़लाइन स्टोर शामिल हैं. 

GIVA ने फैशन इंडस्ट्री में सिल्वर ज्वेलरी (silver jewellery) बनाने और वेबसाइट पर बेचने से शुरुआत की. कुछ ही समय बाद, कंपनी ने 18-कैरेट गोल्ड, ऑक्सीडाइस्ड स्टर्लिंग सिल्वर (oxidised sterling silver) और मार्कासाइट, जिरकोन जैसे कीमती स्टोन्स के सिग्नेचर पीसेस लांच किये. GIVA अंगूठियां, कंगन, हार, झुमके और पायल बना रहा है.

भारत में चांदी कारीगर ज्वेलरी इंडस्ट्री में सबसे कमज़ोर माने जाते हैं, क्योंकि अक्सर बिचौलिये और हाई-एन्ड स्टोर्स उन्हें सही पेमेंट नहीं देते. GIVA सही इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ उनकी मेहनत का सही दाम देता हैं. इस वजह से कई कारीगर शुरुआत से जुड़े हुए हैं,

GIVA आज लैब में बने डायमंड के साथ फैशन इंडस्ट्री में सस्टेनेबल ज्वेलरी का ट्रेंड ला रहा है.

ऐसे कई और स्टार्टअप्स ट्रेडिशनल बिज़नेस तरीकों में बदलाव लाने के साथ ग्रीन और क्लीन भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. रविवार विचार ऐसे सस्टेनेबल स्टार्टअप्स (sustainable startups) की जानकारी साझा करता रहेगा.

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