नवरात्रि (navartri 2023) के तीसरे दिन, देवी चंद्रघंटा (navratri day 3) की पूजा की जाती है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं. चंद्रघंटा का नाम अर्धचंद्र से है , जो उनके माथे पर है. इसके साथ ही वह व्रिकहवाहिनी और चंद्रिका के नाम से भी जानी जाती है.
देवी चंद्रघंटा है साहस और वीरता की देवी
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देवी चंद्रघंटा (day 3 of navaratri 2023) ने असुरों से युद्ध के समय अद्वितीय साहस दिखाते हुए उनका नरसंहार किया. उनकी खुली आँखें, बुराई के खिलाफ युद्ध करने को सदैव तैयार रहने का प्रतीक है. देवी चंद्रघंटा से हम धैर्य, साहस और वीरता सीखते है. उनकी कृपा से सभी पाप, कष्ट, शारीरिक पीड़ा, मानसिक परेशानियाँ दूर होती है.
नवरात्री का तीसरा दिन है माँ चंद्रघंटा की स्तुति का
देवी चंद्रघंटा की धारणा आज की भारतीय महिलाओं के लिए एक मिसाल है. वे मातृकुल से उदाहरण हैं, जो समय-समय पर अपनी परिपक्वता, साहस, और संघर्ष के साथ समर्पित रहती हैं. उनका साहस और उनकी तैयारी आज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हर संघर्ष को पार करती हैं.
आज की भारतीय महिलाएँ (women empowerment) देवी चंद्रघंटा की भावना को अपने काम में दिखाती है, वे समाज में हो रहे अत्याचार के खिलाफ वीरता और साहस के साथ आवाज़ उठाने को तत्पर है. देवी चंद्रघंटा नवरात्रि की तीसरी दिन का महत्वपूर्ण सिम्बल हैं, जो महिला के शक्ति, साहस, और समर्पण का प्रतीक है. उनकी धारणा हमें अपने लक्ष्यों के प्रति सदैव समर्पित राहत हुए युद्धस्तर पर जुटे रहने को प्रेरित करती है.