एक मास्टर स्टोरीटेलर, परफेक्शन क्रिएटर और भारत के सबसे बड़े और पुराने डायरेक्टर्स (Biggest directors of bollywood) में से एक, महेश भट्ट ने बॉलीवुड को कुछ ऐसी स्टोरीज़ दी है जिनके बारे में आज भी बात की जाती है. चाहे फिर वो 'तमन्ना' हो या 'दुश्मन', हर फिल्म में उनके तैयार किए गए किरदार अनोखे होने के साथ साथ यादगार थे. आज तक उनके किरदारों को याद किया जाता है.
महेश भट्ट की ज़िंदगी अक्सर controversies में उलझ जाती है, लेकिन उन्होंने इसका असर अपने creation पर कभी नहीं पड़ने दिया. कितने artists को train किया और इतने लोगों को उनके best version तक पहुंचाया है महेश भट्ट ने. पूजा भट्ट, मोहित सूरी, इमरान हाश्मी, विक्रम भट्ट और आलिया भट्ट, ये वो कुछ नाम है जिन्हें महेश भट्ट ने अपनी कलाकारियां सिखाई है और शायद ही कोई इन नामों को नहीं जनता हो.
महेश भट्ट के बेस्ट महिला किरदार
पूजा भट्ट उनकी सबसे बड़ी बेटी (Mahesh bhatt daughters) है और अपनी बेटी के साथ उन्होंने कुछ ऐसी बहुत सी फिल्में की जिनका नाम आज भी हर व्यक्ति की ज़ुबान पर है. पूजा भट्ट ने 'सड़क' फिल्म में अपने किरदार को पूरा जस्टिस दिया है. वह एक brothel में बेच दी जाती है. एक टैक्सी ड्राइवर जिसका किरदार संजय दत्त ने निभाया है उन्हें बचने के लिए उनकी मदद करते है. पूजा भट्ट का किरदार अपनी शर्तों पर जीना चाहता है. बेच दिए जाने के बावजूद वह अपनी ज़िन्दगी को फिर से जीतना चाहती है.
'डैडी' फिल्म में पूजा भट्ट एक बहुत ही मेंटली स्ट्रांग किरदार निभा रही है. यह फिल्म पूजा भट्ट की डेब्यू फिल्म है लेकिन किरदार देखकर कोई भी ये नहीं समझ सकता की ये उनकी पहली फिल्म (Pooja Bhatt First film) है, महज़ 17 साल की उम्र में उन्होंने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया जो अपने पिता की शराब की आदत छुड़वाती है. अपने पिता को सँभालने से लेकर उनकी इस आदत को ख़त्म करने में पूजा का किरदार बढ़ते हुए दिखा है इस फिल्म में.
'ज़ख्म' फिल्म महेश भट्ट की रियल ज़िन्दगी से inspired फिल्म है. महेश भट्ट की मां (Mahesh bhatt mother name) मुस्लिम थी. इस फिल्म में संजय दत्त की मां का किरदार निभाया है पूजा भट्ट जो मुस्लिम महिला का किरदार निभा रही है. लेकिन दुनिया के सामने एक हिन्दू बनकर रहती है. महेश ने अपनी खुद की कहानी के छोटे छोटे हिस्सों को इस फिल्म में पिरोने की बख़ूबी कोशिश की है.
तमन्ना फिल्म में परेश रावल का क़िरदार एक ट्रांसजेंडर का है जो अपनी मां के अंतिम संस्कार के बाद एक बच्ची को, जिसे कचरे में फैक दिया गया था, उठा लेती है और अपने पास रखने का फैसला लेती है. इस फिल्म में शायद ही किसी mainstream actor ने एक transgender का क़िरदार निभाया है और पूरी फिल्म उसके इर्द गिर्द घूमती है. परेश रावल को टिक्कू के क़िरदार के लिए बहुत प्रशंसा मिली.
काश फिल्म में डिंपल कपाड़िया का क़िरदार अपने पूरे परिवार को संभालते हुए दिखा है. अपनी पति के life को पूरा बदलते देख वह भी खुद को बदल लेती है. एक successful पति की बीवी थी, लेकिन जब पति का काम बंद हो जाता है और वह उसे शराब की लथ लगते हुए देखती तो अपने परिवार को संभालने के लिए वह नौकरियां करना शुरू करती है. एक स्ट्रांग और सेल्फ डिपेंडेंट महिला होने के साथ वह अपने बच्चों को एक अच्छी ज़िन्दगी देते हुए एक मां होने का फ़र्ज़ भी निभाती हुई दिखी है इस फिल्म में.
दुश्मन फिल्म तैयार की गयी थी काजोल के लिए. पूरी स्टोरी घूमती है दो जुड़वा बहनों की कहानी के इर्द गिर्द. एक पोस्टमैन (Ashutosh Rana in dushmann) जब एक बहन का rape कर उसे मार डालता है, तब दूसरी बहन उसका बदला लेने के लिए खुद को ready करती है. अपने self defense की training से लेकर बहन के हत्यारे को पकड़ने के लिए जो भी ज़रूरी था, वो सब सीखा काजोल के क़िरदार ने इस फिल्म में. मेंटली स्ट्रांग होने के साथ इस क़िरदार को physically स्ट्रांग भी दिखाया है महेश भट्ट ने.
बॉलीवुड में सारांश फिल्म के बाद महेश भट्ट को best directors में से एक कहा जाने लगा था. रोहिणी हट्टंगड़ी ने इस फिल्म में एक पत्नी का क़िरदार निभाया है जो अपनी पति को हर परेशानी में सपोर्ट करने के लिए तैयार रहती है. अपने बेटे की मौत के बाद वह और उसका पति (Anupam Kher) किस तरह से अपने जीवन को दोबारा सामान्य बनाते है कहानी इस पर आधारित है. रोहिणी का क़िरदार एक आशावादी और सहयोगी पत्नी का तो है ही, लेकिन वह अपने विश्वास पर भी अडिग है.
भले ही हमनें इस आर्टिकल के अंत में अर्थ फिल्म की बात की हो, लेकिन इस फिल्म के लिए शबाना आज़मी को national award मिल चुका है. अर्थ एक ऐसी फिल्म थी जो अपने समय से बहुत आगे थी. यह extra marital affairs पर आधारित थी. शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल, दो बिल्कुल विपरीत भूमिकाओं की है लेकिन ये उन कुछ फिल्मों में से एक है जिन में दोनों महिला क़िरदार vamp नहीं थे बल्कि leads थे.