एम एफ़ हुसैन (MF Hussain) के नाम से पहचाने जाने वाले भारतीय चित्रकार (Famous Indian painters) मक़बूल फ़िदा हुसैन को क्यूबिस्ट स्टाइल (Cubist style painting) में बोल्ड, जीवंत रंगीन पेंटिंग्स के लिए जाना गया. उनके चित्र मानों किसी कहानी के किरदार हो.
फेमिनाइन फॉर्म्स को कला जगत में जगह देते हुए उन्होंने कई महिलाओं की कहानियों को अपने कैनवस पर उतारा.
कई पेंटिंग्स में दिखी मां की झलक
हुसैन की मां ज़ैनब महाराष्ट्र (Maharashtra) के पंढरपुर से थीं। एक बच्चे के रूप में उसे बचपन में ही उन्हें खो देने के बाद हुसैन की कई पेंटिंग्स (mf hussain famous paintings) में उनकी झलक दिखी.
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हुसैन कहते हैं, ''चूंकि मुझे अपनी मां का चेहरा याद नहीं है, इसलिए मेरी ज़्यादातर महिला आकृतियों में चेहरे धुंधले होते हैं.''
महमूदा बीबी में मिली खोई हुई मां
हुसैन पर गहरी छाप छोड़ने वाली दूसरी महिला महमूदा बीबी थी. वह विधवा थी जिनका एक बेटे और एक बेटी थी. वह मुंबई (Mumbai) में बदर बाग सुलेमानी बिल्डिंग में रहती थी. वह हर दिन चिलचिलाती गर्मी की धूप में हुसैन को फिल्म होर्डिंग्स पर पेंटिंग (MF Hussain painting) करते देखती और उस पर दया करती थी.
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महमूदा बीबी ने हुसैन को अपने परिवार के साथ भोजन करने के लिए आमंत्रित किया और चित्रकार बनने का सपना देखने वाले युवा हुसैन की सरोगेट मां बन गई. जब हुसैन ने उनकी बेटी फ़ाज़िला से शादी के लिए हाथ मांगा, तो उन्होंने ख़ुशी से जोड़े को स्वीकार किया.
फ़ाज़िला बीबी से हुई शादी
फ़ज़िला बीबी हुसैन की पत्नी (MF Hussain wife) थी. उनके छह बच्चों की मां. वह साधारण गृहिणी थी. एक बेहतरीन रसोइया भी. उन्हें हुसैन के सार्वजनिक जीवन से कोई सरोकार नहीं था.
हुसैन के चित्रकार बेटे शमशाद कहते थे, ''अगर हमारी मां का सहयोग नहीं मिला होता तो मेरे पिता वह नहीं बन पाते जो वो बने।'' हुसैन ने अपनी आत्मकथा (autobiography of mf husain) में यह बात साझा की है. फ़ज़िला बीबी का 1998 में निधन हो गया.
मारिया बनी हुसैन की म्यूस
हुसैन की मुलाकात मारिया से 1953 में तब हुई जब वह भारत से बाहर चेकोस्लोवाकिया की अपनी पहली यात्रा पर गए थे. मारिया उसकी इंटरप्रेटर थी और हुसैन को तुरंत उनसे प्यार हो गया. मारिया को इम्प्रेस करने के लिए हुसैन ने उनके लिए 50 पेंटिंग्स बनाईं (mf hussain artwork) और अपनी दाढ़ी और बाल भी कटवा दिए.
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एम एफ़ हुसैन ने मारिया से शादी करने का फैसला किया और फाज़िला को इसके लिए राजी भी कर लिया. लेकिन मारिया भारत में नहीं रही और न ही उसे दूसरी पत्नी का टैग मंज़ूर था. इसीलिए वह अपने पति के साथ मेलबर्न रहने लगी. मारिया हुसैन की फिल्म 'मीनाक्षी-ए टेल ऑफ़ थ्री सिटीज़' (Meenaxi-A Tale of Three Cities) में मुख्य किरदार के रूप में दिखाई दी.
राशदा सिद्दीकी ने लिखी 'इन कन्वर्सेशन विद हुसैंस पेंटिंग्स'
लखनऊ (Lucknow) में जन्मी राशदा सिद्दीकी तीन दशकों से ज़्यादा समय तक हुसैन की ख़ास दोस्त रही. उन्होंने 'इन कन्वर्सेशन विद हुसैंस पेंटिंग्स' (In Conversation with Hussain's Paintings) नाम से किताब लिखी.
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कुछ इस तरह हुसैन की ज़्यादातर पेंटिंग्स में महिलाएं (womens in mf hussain paintings) प्रेरणा रहीं. एम. एफ. हुसैन को फोर्ब्स पत्रिका (forbes magazine) ने 'भारत का पिकासो' (Picasso of India) कहा. हुसैन बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के संस्थापक सदस्यों में से एक थे.