माइक्रोलेंडिंग की दुनिया में छोटे ऋण बड़ा प्रभाव डालते हैं. मइक्रोक्रेडिट उन दूर-दराज़ इलाकों में पहुंचता है जहां पारंपरिक बैंकिंग प्रणालियां अक्सर नहीं जा पातीं. सूक्ष्म ऋण गतिशील और परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में उभरा है, जो कम आय वाले लोगों को आशा और अवसर प्रदान करता है.
माइक्रो लेंडिंग क्या है ?
माइक्रो लेंडिंग, जिसे माइक्रोक्रेडिट या माइक्रोफाइनेंस के रूप में भी जाना जाता है, ऐसी वित्तीय सेवा है जो उन व्यक्तियों को छोटे ऋण प्रदान करती है जो पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं से दूर हैं (Microlending meaning). इन उधारकर्ताओं को अक्सर 'Unbanked' के रूप में परिभाषित किया जाता है और आमतौर पर उनके पास सीमित कोलैटरल होता है, जो उन्हें पारंपरिक ऋण लेने के योग्य नहीं बनाता. सूक्ष्म ऋण का सबसे ज़्यादा लाभ कम आय वाले उद्यमी, महिलाएं और वंचित समुदाय के लोग उठाते हैं (what is microcredit?).
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सूक्ष्म ऋण देने की प्रक्रिया पारंपरिक बैंकों से काफी भिन्न है. बैंक कागजी कार्रवाई, कोलेटरल और क्रेडिट इतिहास की जांच पर जोर देते हैं, माइक्रो क्रेडिट देने वाले संस्थान व्यावसायिक योजनाओं और पुनर्भुगतान क्षमता पर ध्यान देते हैं. प्रदान किए गए ऋण आम तौर पर छोटी राशि के होते हैं.
मइक्रोक्रेडिट के साथ-साथ, उधारकर्ताओं को अक्सर फाइनेंशियल लिटरेसी ट्रेनिंग, व्यवसाय परामर्श और दूसरी सहायता सेवाएं भी मिलती हैं, जिनका लक्ष्य उन्हें सफलता के लिए ज़रूरी ज्ञान और कौशल के साथ सशक्त बनाना है.
मइक्रोक्रेडिट कम आय वाले लोगों को रोजगार पैदा करने, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करने और खुद को गरीबी से बाहर निकालने में सक्षम बनाता है.
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मइक्रोक्रेडिट की शुरुआत
मइक्रोक्रेडिट देने के शुरुआती समर्थकों में से एक मुहम्मद यूनुस (father of microfinance Muhammad Yunus) थे, जिन्होंने 1970 के दशक में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक शुरू किया. ग्रामीण बैंक ने कोलेट्रल के बिना छोटे ऋण प्रदान करके, ख़ासकर महिला उधारकर्ताओं को लक्षित करके और समूह ऋण मॉडल को अपनाकर सूक्ष्म ऋण देने में क्रांति ला दी (microcredit history).
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ACCION इंटरनेशनल की पूर्व CEO मारिया ओटेरो मइक्रोक्रेडिट आंदोलन में एक और बड़ा नाम है. 1961 में शुरू ACCION, लैटिन अमेरिका और उसके बाहर उद्यमियों को छोटे ऋण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने वाले पहले संगठनों में से एक था.
आज, मइक्रोक्रेडिट वैश्विक आंदोलन के रूप में विकसित हो गया है, जिसने सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और गरीबी दूर करने के लिए काम कर रहे लोगों का ध्यान खींचा है.
Microlending के फायदे
Microlending एक परिवर्तनकारी शक्ति है, जो हाशिये पर रह रहे समुदायों को ऋण तक पहुंच प्रदान कर फाइनेंशियल इन्क्लूशन (financial inclusion) को बढ़ावा देती है. उधारकर्ताओं को रोज़गार शुरू करने, उनके जीवन स्तर में सुधार लाने और गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए सशक्त बनाता है. स्वयं सहायता समूहों के ज़रिये महिला उद्यमियों को आसानी से मइक्रोक्रेडिट तक पहुंच मिल जाती है. इससे महिला सशक्तिकरण (women empowerment) के साथ समग्र सामुदायिक विकास संभव हो पाता है.
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मइक्रोक्रेडिट बन रहा वैश्विक ताकत
विकासशील देशों में अपने उपस्थिति के साथ मइक्रोक्रेडिट वैश्विक ताकत बन गया है (microcredit around the world). लैटिन अमेरिका में, बैंको कंपार्टमोस और फिनका इंटरनेशनल जैसे संस्थान माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का नेतृत्व कर, सूक्ष्म उद्यमों का समर्थन करते हैं.
उप-सहारा अफ्रीका, इक्विटी बैंक और किवा के योगदान के साथ फाइनेंशियल इन्क्लूशन और उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहा है.
आधुनिक माइक्रोफाइनांस के जन्मस्थान दक्षिण एशिया के बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक और भारत में स्वयं सहायता समूह जैसे मॉडल कारगर साबित हो रहे हैं.
दक्षिण पूर्व एशिया में TALA और ASA फिलीपींस जैसे संगठनों के ज़रिये, माइक्रो क्रेडिट को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जा रहा है.
मध्य पूर्व/उत्तरी अफ्रीका में टैमवीलकॉम और ग्रामीण-जमील वित्तीय समावेशन का नेतृत्व कर रहे हैं.
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पूर्वी यूरोप/मध्य एशिया में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व एग्रोइन्वेस्ट और काज़माइक्रोफाइनेंस जैसी पहलों द्वारा किया जा रहा है, जो क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म ऋण तक पहुंच की सुविधा प्रदान करते है.
विकासशील देश अपनी ज़रूरतों और सामजिक परिदृश्यों के अनुसार माइक्रोलेंडिंग को बढ़ावा दे रहे हैं. ऋण तक आसान पहुंच देकर गरीबी ख़त्म करने के लिए सूक्ष्म ऋण संस्थानों, सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग किया जा रहा है. वैश्विक स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और गरीबी उन्मूलन में सकारात्मक प्रगति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए माइक्रोक्रेडिट कारगर साबित हो रहा है.