स्वयं सहायता समूहों का NPA सिर्फ़ 1.8%

नज़रिया : आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो SHG की एक बड़ी उपलब्धि NPA है. सिर्फ 1.8 % का NPA होना बहुत बड़ी बात है. तक़रीबन 9 करोड़ महिलाओं से सीधे तौर पर जुड़ी इस आर्थिक लेनदेन की प्रणाली ने इस आश्चर्यजनक आंकड़े को आसानी से हासिल किया.

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मिस्बाह
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भारत जैसा विकासशील देश विकसित देश बनने की राह पर है. इस लक्ष्य को पूरा करने में स्वयं सहायता समूह (self help group) अहम भूमिका निहा रहे हैं. इन समूहों की वैसे तो कई खासियत और उपलब्धियां हैं. ये समूह महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का लक्ष्य पूरा करने के साथ, आर्थिक विकास में भी योगदान दे रहे हैं.

1.8 % NPA है SHG की बड़ी उपलब्धि  

आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो SHG की एक बड़ी उपलब्धि NPA है. सिर्फ 1.8 % का NPA (Non-Performing Asset) होना बहुत बड़ी बात है. तक़रीबन 9 करोड़ महिलाओं से सीधे तौर पर जुड़ी इस आर्थिक लेनदेन की प्रणाली ने इस आश्चर्यजनक आंकड़े को आसानी से हासिल किया.

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स्वयं सहायता समूह स्थानीय स्तर पर लोगों खासकर महिलाओं को मिलकार बनाये गए समूह जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाते है. यह समूह छोटे ऋण लेते हैं (SHG loan) और अधिकांशत: ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और आत्मनिर्भरता के लिए काम करते है. 1.8% की NPA का मतलब है कि इन स्वयं सहायता समूहों की ऋण वापसी दर 98.2% है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि समूह ऋण वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं और आर्थिक स्वतंत्रता (financial freedom) के लिए जागरूक भी है.  

कम NPA दर है SHG के वित्तीय प्रबंधन कौशल का प्रमाण 

NPA का कम होना स्वयं सहायता समूहों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण मापदंड है क्योंकि यह उन्हें ऋण देने वाली संस्थाओं जैसे बैंक में विश्वास जगाता है. यह विश्वास, स्वयं सहायता समूह को सशक्त बनाने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत करता है.

कम NPA दर एक ऐसी अद्वितीय उपलब्धि है जो स्वयं सहायता समूहों के वित्तीय प्रबंधन कौशल (financial management skills) और व्यवसायिक सामर्थ्य को भी दिखाती है. समूहों के सदस्य ऋण लेने और उसकी वापसी के प्रति सजग है. सही समय पर लोन वापस किये जाने से समूह में आत्मविश्वास और आगे बढ़ने का हौसला पैदा होता है. कम NPA से समूहों को अपने व्यवसायों को बढ़ाने के लिए आसानी से आर्थिक सहायता मिलती है. 

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वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से मिलेगा Financial Inclusion को बढ़ावा 

समूह के सदस्यों के बीच सहयोग और साझा जिम्मेदारियों के चलते, ऋण की वापसी दर में सुधार हुआ और यह भारतीय बैंकों के लिए बड़े ऋण देने में मददगार होगा. स्वयं सहायता समूहों के सदस्य एक-दूसरे की मदद करते हैं और इस तरह बैंकों को सही समय पर ऋण लौटाने में सफल होते हैं.

1.8% की NPA दर स्वयं सहायता समूहों के सामाजिक और आर्थिक आज़ादी के प्रति समूह की महिलाओं की सजगता और प्रतिबद्धता का परिणाम है. यह भारतीय समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह दिखाता है कि स्वयं सहायता समूह देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं.

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स्वयं सहायता समूहों की NPA दर को और भी कम करते हुए, महिलाएं सरकार और वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से अपने उत्कृष्ट काम को मजबूती से आगे बढ़ा पाएंगी.  

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