2050 तक Climate Change की वजह से 15.8 करोड़ महिलाएं होंगी प्रभावित !

Susan Jane Ferguson ने कहा, "हमें 2030 तक सेंदाई फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए G20 प्रेइंडियासीडेंसी द्वारा दिए गए अवसर का लाभ उठाना चाहिए, और डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट में महिलाओं की आवाज, एजेंसी और नेतृत्व को प्रेरित करना चाहिए."

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मिस्बाह
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Image : Ravivar Vichar

क्लाइमेट चेंज (climate change) हमारे समाज और पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है, और इसका प्रभाव सभी पर पड़ेगा, ख़ासकर महिलाओं पर. संयुक्त राष्ट्र महिला लिंग स्नैपशॉट (UN Women Gender Snapshot Report 2023) का कहना है कि 2050 तक, क्लाइमेट चेंज की वजह से वैश्विक स्तर पर 158 मिलियन महिलाएं और लड़कियां गरीबी के चंगुल में फंस सकती हैं.

Disaster Risk Reduction में महिलाओं की भूमिका अहम 

आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए महिलाओं की भागीदारी और लैंगिक प्रतिक्रिया पर ध्यान देना ज़रूरी है क्योंकि महिलाएं आपदाओं से असमान रूप से प्रभावित होती हैं. लैंगिक भूमिकाओं से जुड़े सामाजिक मानदंड, अक्सर महिलाओं को आपदा और जलवायु जोखिमों के बीच में रखते हैं (women getting affected by climate change).

 

उदाहरण के लिए, सूखे में बढ़ोतरी की वजह से महिलाओं पर देखभाल का बोझ बढ़ जाता है और उनकी आजीविका गतिविधियों पर असर पड़ता है, जिससे उन्हें पानी इकट्ठा करने के लिए दूर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. 

महिलाओं का स्थानीय ज्ञान Climate Change से जुड़ी चुनौतियों को करेगा दूर 

महिलाओं को जोखिम बीमा या आपदा के बाद मुआवजा योजनाओं के तहत अपर्याप्त कवरेज भी मिल सकता है क्योंकि उनके पास अक्सर भूमि और अन्य उत्पादक संपत्तियों पर स्वामित्व की कमी होती है. आपदाओं के बाद महिलाओं को लिंग आधारित हिंसा (gender based violence) के उच्च जोखिम का भी सामना करना पड़ता है.

 

महिलाओं का स्थानीय ज्ञान जलवायु और आपदा से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने में मदद करेगा (women fighting climate change). इसके लिए हमें डेटा संग्रह में निवेश करना चाहिए जो महिलाओं और पुरुषों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं को पहचान सके. महिलाओं की भाग लेने की क्षमता को बढ़ाना और रिस्क असेसमेंट करना भी ज़रूरी है ताकि स्थानीय स्तर पर आपदाओं की योजना बनाने और उन्हें कम करने में मदद मिल सके.

G20 इंडिया प्रेसीडेंसी Risk Management के लिए लाइ बीस बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को साथ 

जमीनी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए महिलाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों में निवेश करना होगा. साथ ही, स्थानीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तरों पर निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी के लिए संस्थागत तंत्र बनाना होगा. ये कार्रवाइयां स्थानीय सस्टेनेबल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने, आपदा जोखिमों के लिए लॉन्ग टर्म कलेक्टिव रेसिलिएंस और लैंगिक समानता को मजबूत करने के लिए ज़रूरी हैं.

 

भारत ने अपनी G20 अध्यक्षता के तहत आपदा जोखिम को कम करने के लिए G20 वर्किंग ग्रुप शुरू करके आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में ज़रूरी कदम उठाया है. यह समूह वैश्विक स्तर पर आपदा और जलवायु जोखिमों से जुई रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए दुनिया की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाया है.

Susan Jane Ferguson ने महिलाओं की आवाज, एजेंसी और नेतृत्व को प्रेरित करने की दी सलाह

UN वीमेन इंडिया की कंट्री रिप्रेजेन्टेटिव Susan Jane Ferguson ने कहा, "हमें 2030 तक सेंदाई फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए G20  प्रेइंडियासीडेंसी द्वारा दिए गए अवसर का लाभ उठाना चाहिए, और डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट (disaster risk management) में महिलाओं की आवाज, एजेंसी और नेतृत्व को प्रेरित करना चाहिए."

डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर हम सस्टेनबल, सुरक्षित, और मज़बूत कल की नींव रख सकेंगे. 

UN Women Gender Snapshot Report 2023 disaster risk management Climate Change